शनिवार, 27 दिसंबर 2008

छबीस नवम्बर से छबीस दिसम्बर के बीच क्या बदला


छबीस नवम्बर को जब मुंबई पर अटैक हुआ तो भारत ने ताव में आकर १०० बयान दिए । लगा की इस बार भारत कुछ करवाई करेगा । लेकिन उस बात को बीते आज एक महीने हो गए है । भारत सरकार लिस्ट देने की करवाई से आगे नही बढ़ पाई है । ऐसे में सरकार को यह बताना चाहिये की बयान वीर नेता देश को कैसे सुरक्षा देंगे । लिस्ट को पाकिस्तान ने गुसलखाने के पेपर के रूप में इस्तेमाल कर फेक दिया और सरकार केवल बयान जारी करती रह गई । आतंकबाद के खिलाफ भारत कैसी लडाई लड़ रहा है , जिसमे ३० हज़ार से जायदा भारत के लोग मारे जा चुके है , जबकि दुश्मनो की संख्या १००० भी नही है । कैसी लडाई लड़ रहे है हम , यह शर्म से डूब मरने की बात है । हमारे देश के नेता या तो पाकिस्तान से हिसाब बराबर करे या कश्मीर को लौटाने की दिलासा देना बंद करे ।

बुधवार, 24 दिसंबर 2008

आपने डरफोक देखा है

आपने डरफोक देखा है । नही तो भारत के नेता लोगो को देखिये । ख़ुद चार सतरिये सुरक्षा में रहते है और जनता को पाकिस्तान के आतंकबादी के हाथो मरने के लिए छोड़ देते है ।
जनता जब उनसे कहती है की पाकिस्तान का कुछ करो तो वे लंबे - लंबे बयान जारी कर काजगी सेर बन जाते है ।

सोमवार, 15 दिसंबर 2008

पाकस्तान का क्या करना है तय करें


पाकिस्तान के साथ भारत या तो युद्ध कर सकता है या कश्मीर पर समझौता । युद्ध ९५ पर्तिशत भारतियो का विकल्प है तो पाच पर्तिशत का विकल्प कश्मीर पर समजौता है । पाकिस्तान भारत से तिन युद्ध कर चुका है । इसके आलावा वो ५० वर्सो से भारत में आतंकबाद चला रहा है । उसकी सारी कवायद बस इस लिए है की बस कश्मीर उसे मिल जाए । यकीन मानिये जिस दिन कश्मीर पर ऐसा फ़ैसला हो गया , भारत में आतंकबाद आदि ख़ुद ख़त्म हो जाएगा । समय की मांग है की भारत आगे बढ़ कर युद्ध करे और अपने कश्मीर को बापस लेकर देश-दुनिया के सामने मिसाल रखे ।

गुरुवार, 11 दिसंबर 2008

पाकिस्तान को कारगिल जैसा जवाब दे - युद्ध और युद्ध
















भारत को पाकिस्तान पर हमला करना चाहिये

मुंबई हमलो में पाकिस्तान के आतंकबादी समूह का हाथ था , यह दुनिया के सामने आ चुका है । लेकिन दुर्भाग्य देखिये भारत सरकार ५० वर्ष पुरानी धमकी के खेल में लगी हुए है । आतंक के खात्मे का केवल एक ही समाधान है हम पाकिस्तान पर हमला करें और अपना कश्मीर बापस लेकर पाकिस्तान से सारे सम्बन्ध तोड़ ले ।

मंगलवार, 9 दिसंबर 2008

कसाब को लेकर मीडिया संजीदा क्यों


हमारी मीडिया भी दोहरी चरित्र की है । एक तरफ तो वो नेताओ को आतंकबाद के मुद्दे पर दोहरा मापदंड अपनाने पर गरिया रही है । तो दूसरी ओर वो रोज - रोज कसाब पर स्टोरी दिखा कर तरह - तरह की कहानी सुना रही है । जैसे, कसाब को किसकी फिल्म पसंद है , उसे खाने में क्या पसंद है , कैसे उसे गुमराह कर आतंकबादी बना दिया गया । क्या नौटंकी है यह । जिस तरह से नेता वोट के लिए मर रहे है , वैसे ही मीडिया टीआरपी के लिए सब करम कर रही है । कसाब येहा मैच नही खेलने आया था , वोह येहा तबाही मचाने आया था । मीडिया कैसे इन बातो को भूल गई , ये शर्मनाक है । मीडिया की इन करतूतों से होगा यह की मानवाधिकार वाले और मुस्लिम वोट के भूखे नेता और कांग्रेस जैसे पार्टी उसके बचाव की मांग करने लगेगी की उसे छोड़ दिया जाए । देश को याद है की अफजल के मामले में ऐसा ही हुआ है ।

सोमवार, 8 दिसंबर 2008

दिल्ली चुनावो में भाजपा की हार के मायने

दिल्ली चुनावो में भाजपा की हार हिंदुत्व की हार है । यह भाजपा के केन्द्रीय नेत्रित्व की भी हार है , जो आतंकबाद जैसे मुद्दे को जनता के सामने ठीक से नही रख सकी । लोकतंत्र में जनता मालिक होती है , इसमे कोई शक नही है । लेकिन मै दिल्ली के चुनाव परिणाम देख कर हैरान हूँ । ठीक है की शिला ने वहा कुछ काम किया है , लेकिन आतंकबादी अफजल की फाइल भी वोही दबा कर बैठे रही है , इसे किसी को बताने की जरुरत नही है । वहा के वोटरों ने आतंकबाद जैसे मुद्दे को कैसे इग्नौर किया , मुझे समझ में नही आ रहा है । वोह भी तब जब मुंबई (महारास्ट्र) में कांग्रेस की सरकार रहे हुए अब तक का सबसे बड़ा आतंकबादी हमला दिल्ली सहित देश ने देखा ।

शनिवार, 6 दिसंबर 2008

आतंकबाद से लड़ सकनेवाले योद्धा

मुंबई के आतंकी हमलो के बाद यह सवाल उठ खड़ा हुआ है की भारत के कौन - कौन राजनेता आतंकबाद से लड़ सकते है । मेरे विचार से यह संख्या १० भी नही है । इनमे पहला नाम नरेन्द्र मोदी का हो सकता है । दूसरा नाम लाल कृष्ण अडवाणी का हो सकता है । तीसरा नाम जगमोहन का , चौथा नाम अरुण जटली का, पाचवा नाम प्रियंका गाँधी का , छठा नाम जय ललिता का , सातवा नाम भाजपा के बिजय मल्होत्रा का, आठवा नाम चंद्र बाबु नायडू का , नौवा नाम उमा भारती का हो सकता है । १० वे नम्बर के लिए कोई नाम नही है । इस लिहाज से आने वाले लोक सभा चुनाव में हमे इनका हाथ मजबूत करना चाहिये । लालू यादव , मुलायम यादव , रामविलास पासवान , सोनिया गाँधी जैसे " देश भक्तो " को हमे वोट नही देना चाहिये , ऐसा मै मानता हूँ ।

शनिवार, 29 नवंबर 2008

देश को माफ़ करे कांग्रेस


मुंबई की घटना के बाद यह साफ हो गया है की आतंकबाद से लड़ना उसके बस की बात नही है । लिहाजा कांग्रेस को देश को माफ़ कर सत्ता छोड़ देनी चाहिये । उसकी गलतियों के कारन देश ये दिन देखने पड़े और वीर जवानों को गवाना पड़ा । हालत यह है की सीमा के जवान देश के अन्दर सहीद हो रहे है और कांग्रेस अफजल को फासी देने के बजाये पाल रही है । कांग्रेस को कुछ तो सर्म करना चाहिये ।

गुरुवार, 27 नवंबर 2008

हमले के समय कहा थे राज ठाकरे


मुंबई में जब आतंकबादी हमले हुए तो मैंने सोचा की राज ठाकरे अपनी सेना लेकर आतंकबादी से लोहा लेने पहुच जायेंगे , लेकिन घटना के २२ घंटे बीतने के बाद भी वे मौके पर नज़र नही आए । उनकी फ्रोड सेना भी कही नही दिखी । दिखी तो हमारी भारतीय सेना , जिसने एक बड़ी करवाई चला राखी थी । राज ठाकरे समझ ले की संकट में एकता ही कम आती है । पर सवाल वही का वही है महारास्ट्र को अपने बाप की जागीर बतानेवाले वीर राज ठाकरे संकट के समय कहा थे । क्या आपने उन्हें देखा है ।

बुधवार, 26 नवंबर 2008

मुंबई धमाको को क्या कहेंगे

बुधवार की रात मुंबई के लिए कहर लेकर आई । आतंकबादी हमलो में लगवाग १०० जाने चली गई । कहा जा रहा है की यह भारत का सबसे बड़ा आतंकबादी हमला है । टीबी पर जो दिखाया जा रहा है , कम से कम वो इसकी पुस्ती करता है । इस हमले के बाद आतंकबाद पर उठा सवाल फिर वोही का वोही खड़ा दिख रहा है । सवाल है कांग्रेस और कितनी जाने लेकर अताक्बाद के खिलाफ अभियान सुरु करेगी । इस घटना में पुलिस के बड़े अधिकारियो के मारे जाने की ख़बर है । अभी कांग्रेस ने जो देश का हाल कर दिया है उसमे इससे बेहतर ख़बर की उम्मीद नही की जा सकती है । राज ठाकरे खुले आम देश को बटने की करवाई कर रहे है । कांग्रेस हिंदू आतंकबाद की बात कह रही है । बतला हाउस कांड को फर्जी बता कर सवाल खड़े किए जा रहे है । देश की राजनीती का जो हाल है उसमे तो कल यह भी कहा जा सकता है यह हिंदू आतंकबाद है ।

मंगलवार, 25 नवंबर 2008

हिंदू आतंकबाद की बात कहना ग़लत

हिंदू आतंकबाद की बात कहना ग़लत है । भगवन न करे लेकिन ऐसा अगर होगा तो फिर भारत का भगवन ही मालिक है । वोट के भूखे नेता इस ओर ध्यान देंगे ।

शनिवार, 22 नवंबर 2008

मोदी के राज में मन्दिर महफूज नही !


नरेंदर मोदी के राज में मंदिरों को तोडे जाने की ख़बर आ रही है । मन्दिर विकाश के लिए तोडे जा रहे है , ऐसा कहा जा रहा है । इससे पहले लखनोऊ में अटल बिहारी बाजपाई ने विकाश के लिए मंदिरों को हटवाया था । लेकिन बिधाता की लिखी देखिये मीडिया कह रहा है की मोदी के राज में मन्दिर महफूज नही है । यानि आप मन्दिर के साथ हो तो ग़लत , मन्दिर के साथ नही हो तो ग़लत । मंदिरों को हटाने देना हिंदू समाज की उदारता माना जाना चाहिये । इससे मुसलमानों को भी सिख लेनी चाहिये और समय के साथ बदलना चाहिये । हिंदू होने के नाते मेरा यह मानना है की मंदिरों को तोडा या हटाया जाना ग़लत है । लोगो को मन्दिर बनाने से पहले यह जरुर देख लेना चाहिये की वो सरकारी जमीन पर न बनी हो । सरकारों को भी २० वर्ष से पुरानी मंदिरों को हटाने से परहेज करना चाहिये ।

रविवार, 16 नवंबर 2008

जाच या साजिश

कुछ भी लिखने से पहले मै यह स्पस्ट कर दू की हर तरह के आतंकबाद की निंदा की जनि चाहिये । लेकिन यह भी नही होना चाहिये की जाच के नाम पर एक जाच एजेन्सी और कुछ मीडिया संगठन हिंदू आतंकबाद की बात करने लगे । जिस तेजी से मल्लेगाओ बिस्फोटो की जाच के नाम पर कुछ न्यूज़ चैनल ठेकेदार जैसा बर्ताव कर रहे है , वोह बताता है की कांग्रेस और न्यूज़ चंनेलो में समझौता के तहत काम हो रहा है । साध्वी प्रज्ञा क्या कोई भी दोसी हो , तो उस पर कड़ी करवाई होनी चाहिये । लेकिन हिन्दुओ को बदनाम करने का खेल बंद होना चाहिये ।

बुधवार, 5 नवंबर 2008

आतंकबाद की राह हिन्दुओ की नही

साध्वी प्रज्ञा सिंह मामले में कहा जा रहा है की वो जबाबी आतंकबाद की प्रतिनिधि है । हलाकि इस मामले में राजनीती हो रही है , या सच में जाच चल रही है यह कुछ दिनों में साफ हो जाएगा । जिस जबाबी आतंकबाद की बात कही जा रही है वह चिंता की बात है । अगर वास्तव में ऐसा हो रहा है तो यह अखंड भारत के हित में कदापि नही है । मै बाकियो की बात नही जनता लेकिन भारत हिन्दुओ का है और यहाँ रहनेवाले कीडे की भी रक्षा करना उनका धर्म है । उनके द्वारा आतंकबाद को बढ़वा देना कुछ ऐसा है जैसे सुध साकाहारी गौ द्वारा मांश खाना । हिंदू धर्म के लोग इस्लामी आतंकबाद की राह पर चल कर खून से अपने हाथ गंदे न करे बल्कि वैसे नेताओ को मज़ा चखाए जो वोट तो उनसे लेते है किंतु जितने के बाद बुर्के के पीछे छिप कर नज़र ही नही आते है । याद रखे खून का कारोबार हमारा नही है ।

रविवार, 2 नवंबर 2008

राज के रहते गद्दारों की क्या जरुरत है


राज ठाकरे भाषा और राज्य के नाम पर देश को बाट रहे है । वो कह रहे है की महारास्ट्र केवल मराठियो का है , यहाँ रहनेवाले बिहारियो और उत्तर भारतीयों को बापस जाना होगा । उनकी नादानी से हिंदुत्व को नुकसान हो रहा है । राज की नौटंकी से गाहे - बगाहे हिन्दुओ को ही नुकसान हो रहा है । देश जनता है की हिंदू , वोट की राजनीती के कारन कमजोर होते जा रहे है , ऐसे में राज के रहते गद्दारों की क्या जरुरत है । जो कम पाकिस्तान ६० वर्ष में नही कर सका , उसे राज ने दो वर्ष में ही कर दिखाया । अगर अखंड भारत में ही ऐसे हालत बनने लगे की एक राज्य के लोग को दुसरे राज्य के लोग पिटे तो दोष किसे दिया जा सकता है । राज ठाकरे हिन्दुओ के दुसरे जैचंद बनेगे , इसमे सक नही है ।

शनिवार, 1 नवंबर 2008

हिंदू आतंकबाद की बात ग़लत

महारास्ट्र के माले गाओ ब्लास्ट में साध्वी प्रज्ञा सिंह का नाम आ रहा है । कहा जा रहा है की हिन्दुबादी संगटन द्वारा ये ब्लास्ट कराये गई है । हलाकि अभी जाच चल रही है और कहा जा यह मुंबई पुलिस की साजिश भी हो सकती है । सचाई तो जाच के बाद पता चलेगी , लेकिन इतना तो तय अगर हिंदू आतंकबाद बास्तव में पाव पसार रहा है तो यह चिंता की बात है पुरे देश के लिए । हिंदुत्व में आतंकबाद की कोई जगह नही है , ऐसा मै मानता हूँ । साध्वी प्रज्ञा सिंह परकरण हमारे वोट के भूखे नेताओ की लिए माँ की गाली के सामान है । ऐसे नेताओ को यह समझ लेना चाहिये की अगर तुस्टीकरण की निति इस देश में ऐसे ही चलती रही तो देश की ८० पर्तिशत जनता अपने हिंदुत्व की राह को छोड़ इसी राह पर चल पड़ेगी । हमारे देश के करनधार इस पर विचार करेंगे ।

गुरुवार, 23 अक्तूबर 2008

राज ठाकरे महारास्ट्र के ठेकेदार कैसे

राज ठाकरे इन दिनों महारास्ट्र के ठेकेदार बने हुए है । वो कह रहे है की उनका हर काम महारास्ट्र के लिए है । बिहार और उत्तर परदेश के गरीब लोगो को निशाना बना वो साबित क्या करना चाहते है । उनके कारनामो से हिंदू बट रहे है । मै दंग हूँ की एक सड़क छाप आदमी स्वंभू ठेकेदार बना हुआ है । मै राज से पूछना चाहता हूँ की उन्होंने इस देश को क्या दिया है की वो ठेकेदारी कर रहे है । क्या उन्होंने भारतीय सेना में योगदान दिया है की वो फ्रोड सेना खोल कर सेना जैसे पवित्र सब्द का अपमान करने बैठ गए है । उनके नाम से कितनी महारास्ट्र में कितनी जमीन है की वो इसके मालिक बन गए है । भारत की छोडे महारास्ट्र में गुंडागर्दी और लाफ्फुआ गिरी करने के अलावा उन्होंने क्या किया है । राज हिन्दुओ और हिंदुत्व को नुकसान पहुचा रहे है । उनसे अच्छे लादेन और पाकिस्तानी आतंकबादी है जो अपने धर्म के लिए दुनिया से लड़ रहे है । भले ही वो ग़लत हो , पर अपने धर्म को वो नुकसान तो नही पहुचा रहे है । राज को उत्तर भारतीय तो नज़र आ रहे है , पर उनकी मोटी आँखों के सामने रहनेवाले बांग्लादेसी घुस्पैठेया नज़र नही आ रहे है । येही हाल रहा तो वे हिन्दुओ के इतिहास के दुसरे जयचंद कहे जायेंगे । मेरी राज को सलाह है की वो मुस्लमान बन जाए ताकि हिन्दुओ को दिल से यह सुकून रहे की हिंदुत्व का गद्दार उनके बिच का नही है ।

बुधवार, 22 अक्तूबर 2008

हिंदुत्व के दुसमन राज ठाकरे


हिंदुत्व के दुश्मनो में लालू यादव , राम विलास पासवान , अमर सिंह , मुलायम यादव के बाद राज ठाकरे का भी नाम जुट गया है । जिस तरह से उन्होंने उत्तर भारतियो को महारास्त्र में निशाना बनाया , वो शर्म नाक है । इससे उन्हें भले ही सत्ता मिल जाए , पर हिंदुत्व को नुकसान होगा , यह तय है । राज ठाकरे अगर भारत में घुस आए बंगला देसियो के खिलाफ अभियान चलाते तो पुरा देश उन्हें समर्थन करता , लेकिन अपने ही देशवासियो के साथ वो जो कर रहे है वो देशद्रोह है । राज ठाकरे १००००० देशद्रोहियो के बराबर है । जहा तक मई जनता हूँ की मुंबई के मीरा रोड , ठाणे , कुर्ला आदि में लाखो बांग्लादेसी है । राज की चोच उनके मामले में क्यूँ बंद है । अगर राज नही माने तो उन्हें एसे ही कुत्तो के साथ दिन बिताने पड़ सकते है । राज देश दुनिया की चिंता छोड़ कर कुत्तो के साथ खेले , येही उनको सूट करता है ।

शनिवार, 18 अक्तूबर 2008

मुसलमानों की बात

भारत में मुस्लमान वो नही करते जो करना चाहिये । मसलन,
१ भारत की खुसी में अपनी खुसी नही खोजते है ।
२ जनसँख्या और एजूकेशन जैसे मामलो में अलग राय रखते है
३ पाकिस्तान की जित पर पटाखे फोड़ते है ।
४ बेबजाह मुह फुलाये रखते है
५ वो ये सोचते है की उनके साथ बस इस लिए ग़लत हो रहा है की वो भारत में है ।
६ बंग्लादेसियो को सरन देते है ।

मुस्लिमो का चरित्र

भारत में मुस्लिमो का चरित्र एक बड़ा सवाल बना हुआ है । लोग कह रहे है की पुरी कॉम को संका की नज़र से देखा जा रहा है । लेकिन इसकी बजह क्या है किसी को बताने की जरुरत नही है । बार - बार मुस्लिमो पर सवाल बस इस लिए खड़ा होता है की न तो उन्हें कोई सुधार पसंद है न ही वो देश के विकाश में योगदान देना चाहते है ।

मंगलवार, 14 अक्तूबर 2008

क्या यह हो सकता है

कभी - कभी मै यह सोचता हु की इस देश में क्या यह हो सकता है ।
१ अयौध्या , काशी, मथुरा , धार हिन्दुओ को मिल जाए
२ धर्मांतरण रुक जाए
३ वोट की राजनीती रुक जाए
४ बंग्लादेसियो को दामाद बनाना बंद कर दिया जाए ।

सोमवार, 13 अक्तूबर 2008

देश का हाल

आतंकबादी घटनाओ ने देश को हिला कर रख दिया है । कहा जा रहा है की एक खास धर्म को मानने वाले लोग देश को इस लिए तबाह करने पर तुले है की लोग उनके गोड़ की बात नही सुन रहे है । ऐसे लोगो के लिए संदेश तैल लगाओ डाबर का ''''''''''''

शनिवार, 4 अक्तूबर 2008

भगवान इस देश को बचाए

दिल्ली बम धमाको के बाद बाटला हाउस इनकाउन्टर हुआ , जिसमे दो आतंकबादी मरे गए । इस इनकाउन्टर में एक इंसपेक्टर भी सहीद हुए । मीडिया ने पुरे देश को इसका नज़ारा दिखाया , लेकिन अब कहा जा रहा है इस घटना में आजमगढ़ के बेगुनाह युवक मारे गए । कुछ देश द्रोही इसे पुलिस की साजिश बता रहे है । बताने की जरुरत नही है की इसे लोग किस मकसद ऐसा कर रहे है । पर कोई यह नही बता रहा है की इंसपेक्टर मोहन शर्मा को गोली किसने मारी, वो कौन" सज्जन लोग थे जो ऊपर से गोलिया चला रहे थे । जाहिर है यह ई नौटंकी वोट के लिए ही हो रही है । ऐसे में इस देश को भगवान ही बचा सकता है ।

गुरुवार, 2 अक्तूबर 2008

आतंकबाद और जिहाद

भारत में आतंकबाद और जिहाद एक ही सिक्के के दो पहलु है । इन दोनों को अलग कर देखना ठीक वैसे ही बात है जैसे खून से लाल रंग अलग करना । भारत में आतंकबाद सुद्ध रूप से इस्लामी है , जिसे पाकिस्तान और अब यहाँ के वोट के भूखे नेता बढावा दे रहे है । इस आतंकबाद का एक अर्थ भारत में इस्लामी सासन लागु करना है । आतंकबादी संगठन सिमी का घोसना पत्र यही कहता है । तो इस लिहाज से इस आतंकबाद का मतलब हिन्दुओ का नाश करना है । आतंकबादी को यहाँ के मुस्लिमो का समर्थन येही बताता है । अगर यहाँ के हिंदू नही जगे तो इस्लामी हवस की वे भेट चढ़ जायेंगे । कुछ लोग मुझे कहते है की धमाको में मुस्लिम भी मरते है । इस पर मै कहता हूँ की यह सही है लेकिन आप बताये इसके बाद भी आतंकबादी का समर्थन मुस्लिम क्यों करते है । क्यों भारत की हार पर मुस्लिमो द्वारा पठाके फोडे जाते है और पाकिस्तान की जित पर जश्न मनाया जाता है । अफ़सोस इस बात का है की यहाँ के मुसलमान भाई धर्मान्तरित हिन्दुओ की संतान है और वे अपने भाई को दुसमन मान चुके है । इसका सबूत यह है की पाकिस्तान में यहाँ के मुसलमानों को मुहाजिर कहा जाता है । इस लिहाज से यहाँ के मुसलमानों को गंभीरता से यह सोचना चाहिये की उनका भला किसमे है । याद रहे अगर भारत नही रहा तो यहाँ के मुस्लमान भी नही रहेंगे ।

बुधवार, 1 अक्तूबर 2008

अगर धमाके जिहाद है तो शर्म करे


भारत में धमाके पर धमाके हो रहे है । आतंकबादी जिहाद के नाम पर धमाके कर मासूमो की ज़िन्दगी तबाह कर रहे है । सितम्बर में दिल्ली , मुंबई दहले तो एक ओक्टुबर को असम में धमाके कर दहसत फैला दी गई । धमाके दर धमाके आतंकबादी मौत का नया इतिहास लिख रहे है । अगर धमाको में मासूमो को मारना जिहाद है तो ऐसे धर्म को शर्म करना चाहिये । जो इस तरह की बात करता है । दिल्ली में टिफिन बम धमाके में एक बच्चा इसलिए मारा गया क्योंकि वो गिरी टिफिन को बापस करने गया था । बच्चो को मार कर जिहादी कैसी मर्दानगी जताते है । आतंकबाद वैसे हिजरो की जामत है जो अपनी बात कहने के लिए धमाके करता है । ठीक वैसे ही जैसे चिल्ला -चिल्ला कर नमाज पढ़ी जाती है ।

फिर ग़लत राजनीती की भेट चढ़ गए हिंदू

गोधरा हिंदू रामसेवक जलाये गए । लेकिन जब मामले पर राजनीती सुरु हुई तो कहा गया की आग अन्दर से लगाई गई थी । इसके लिए एक जाली रिपोर्ट भी जारी कर दी गई । वो तो भला हो नानावटी रिपोर्ट का जिसने सच को सामने ला दिया । ओडिसा के कंधमाल में विहिप के लक्ष्मन नन्द की हत्या के बाद इसाई के खिलाफ दंगे भड़के तो कहा जा रहा है की साजिस के तहत इसाई को निशाना बनाया जा रहा है । यानि फिर ग़लत राजनीती की भेट चढ़ गए हिंदू । जिस तरह गोधरा कांड के बाद गुजरात में दंगे हुए , वैसे ही विहिप के लक्ष्मन नन्द की हत्या के बाद ओडिसा में दंगे हो रहे है । देश यह अच्छी तरह से जनता है की हिंदू हिंसा में विस्वास नही करते है , पर अस्तित्व पर सवाल उठने पर वो अपनी रक्षा कर के दिखा देते है । मीडिया गुजरात और कंधमाल की बात करे लेकिन गोधरा और लक्ष्मन नन्द की हत्या के साथ ।

रविवार, 28 सितंबर 2008

इस्लाम को देश ने दिया

भारत एक धरम निरपेछ देश है । पर यहाँ महान नेताओ के कारन मुसलमानों को हर चीज़ जरुरत से जायदा दे दी गई है । कई मौके आए जब कोर्ट को फैसले को लात मार कर उन्हें खुस किया गया है । इस देश मे मुसलमानों को सब कुछ हासिल है । इस देश ने उन्हें पर्सनल ला तक दिया है । देश की हर चीज़ उनके लिए भी सामान है , फिर भी उन्हें इस देश से लगाब हो ऐसा दीखता नही है । मै यह कभी नही कहता की सभी मुस्लमान आतंकबादी है , पर मेरे यह कहने की भी कोई बजह नही है की वे आतंकबादी नही है । आतंकबादी का सपोर्ट येही तो साबित करता है । यहाँ के मुसलमानों को यह सोचना होगा की किसकी खुसी मे उनकी खुसी है । अब समय आ गया है की वो देश को बताये की भारत के विकास मे उनका क्या योगदान है ।

शनिवार, 27 सितंबर 2008

इस्लाम ने भारत को क्या दिया

देश की आज़ादी के ६० साल बीत जाने के बाद अगर पूछा जाए की सम्मान निये कलाम साहब को छोड़ कर देश को इस्लाम ने क्या दिया , तो जवाब होगा की
१ ) आतंकबाद
२) देश द्र्रोह
३) अविश्वास
४) पाकिस्तान भक्ति
५) बम धमाके

गुरुवार, 25 सितंबर 2008

गोधरा का सच सामने आया


२५ सितम्बर को नानावटी कमीसन की रिपोर्ट आने के बाद यह तय हो गया की गोधरा मे साबरमती एक्सप्रेस मे रामसेवक जलाये गए थे । पहले के कार्यक्रम के अनुसार मुस्लिमो ने रामसेवक को जला कर मार डाला । लेकिन जब इस पर राजनीती सुरु हुए तो कहा गया की आग अन्दर से लगाई गई थी । मुस्लिम वोट के भूखे लालू यादव ने रेलवे के माध्यम से एक आयोग बनाया जिसने बहुत कम समय मे चमचे की तरह ऐसे रिपोर्ट पेश की जिसकी बाते किसी के गले नही उतरी । उसने कहा की आग अन्दर से लगाई गई थी । नानावटी आयोग की रिपोर्ट के बाद देश को यह जान लेना चाहिये की वोट के लिए हिदू समुदाय के ही नेता इसे बेचने मे कोई कसर नही छोड़ते है । मामले मे नरेन्द्र मोदी फिर विजई बन कर सामने आए है ।

बुधवार, 24 सितंबर 2008

पासवान और लालू कैसे नेता

रामविलास पासवान और लालू यादव कैसे नेता है , इसकी बानगी देखे । लालू यादव द्वारा सिमी का सपोर्ट किए जाने के कुछ दिन बाद जब उन्होंने गिरह्मंत्री शिवराज पाटिल का इस्तीफा मागा तो सोनिया गाँधी ने उन्हें औकात याद दिलाते हुए कहा की आतंकबादी का सपोर्ट और होम मिनीस्टर का विरोध एक साथ नही चलेगा । इसके बाद वो ( लालू ) लोगो से मुह चुराते फिर रहे है । दुसरे नेता है रामविलास पासवान , जिन्होंने कहा है बांग्लादेसी घुसपैठियो को नागरिकता दी जाए । पुरे देश को मालूम है की ढाई करोड़ घुसपैठियो द्वरा देश मे आतंकबाद , जाली नोट के कारोबार को बढावा दिया जा रहा है । ऐसे नेता का सपोर्ट करना देश द्रोह के सामान है ।

शनिवार, 20 सितंबर 2008

मुस्लमान और मीडिया

दिल्ली ब्लास्ट के मुजरिमों को पकड़ने गई पुलिस सफल तो रही लेकिन चर्चित इंसपेक्टर मोहन चंद्र शर्मा सहीद हो गए। इस घटना मे दो आतंकबादी भी मारे गए । जब मीडिया उन आतंकबादी के गाव पहुची तो उन्हें बंदक बनाया गया और कहा गया की मीडिया मुसलमानों को आतंकबादी बताती है । अब सवाल उनसे जो यह कहते है की मुसलमानों को आतंकबादी बताया जा रहा है । उन्हें बताना चाहिये की अगर वे आतंकबादी नही थे तो मोहन शर्मा को गोली किसने मारी । हजारो लोगो की मौज़दगी मे ऊपर से पुलिस पर गोली किसने चलाई । वहा दो कमरों मे १२ लोग रह रहे थे , लेकिन लोकल लोगो ने पुलिस को सहयोग नही किया । पुलिस की करवाई का लोगो ने विरोध क्यों किया । इन बयानों और घटनाओ के माध्यम से मुस्लिम समाज क्या संदेश देना चाहता है । अगर मीडिया ने उन्हें दोसी कहा है तो उनकी गतिविधि इसके लिए दोसी है । मुसलमानों ने मीडिया को दोसी कहने से पहले यह क्यो नही याद किया की गोधरा मे उनकी गलती रहने के बाद भी उनका सहयोग किया । आज भी मीडिया इस डर से मुसलमानों के खिलाफ ख़बर नही लिखती है या दिखाती है । यह बात मै मीडिया मे रहने के कारन अच्छी तरीके से जानता हूँ । मुस्लमान अगर चाहते है की उन्हें अताक्बदी की गाली न दी जाए तो उन्हें अपना चरित्र बदलना होगा । उन्हें भारत की खुसी मे अपनी खुसी खोजनी होगी , पाकिस्तान की जगह उन्हें भारत की जय कहना सीखना होगा ।

मंगलवार, 16 सितंबर 2008

कपड़े बदल कर आतंकबाद से लडाई


दिल्ली बम धमाको के दिन हमारे होम मिनिस्टर शिवराज पाटिल ने तिन बार कपड़े बदले थे । यह उनके आतंकबाद से लड़ने का तरीका था । क्या यह शर्म की बात नही है की लोगो के मरने के दौरान होम मिनिस्टर शिवराज पाटिल कपड़े और जूतों के चयन मे उलझे रहे, जबकि उन्हें दर्द बाटने के लिए आगे आना चाहिये था । दरअसल आतंक से लड़ने का काग्रेस का तरीका भी कुछ ऐसा ही है । कांग्रेस आतंकबाद के साथ अपना फ़ायदा देख कर लड़ती है । जब आतंकियो पर करवाई के लिए जनता कहती है तो वो कहती है ऐसा करने से मुस्लिम नाराज हो जायेगे । सिमी और अफजल पर करवाई नही होगी क्योंकि वोट बैंक ख़राब हो जाएगा । मेरी कांग्रेस, मनमोहन और सोनिया से अपील है की आप अपने खातिर देश का बंटाधार न करे । आपने बहुत कर ली देश सेवा , अब आप माफ़ कर दे । या वोट बैंक की राजनीती के लिए देश से माफ़ी मांगे । आप यह भी कर सकते है की नरेन्द्र मोदी से टुइशन ले ले की कैसे आतंकबाद से लड़ा जाता है ।

सोमवार, 15 सितंबर 2008

आतंकबाद से कैसे लड़ रही है कांग्रेस

दिल्ली आतंकबादी हमलो का शिकार बनी और ३० लोगो को अपनी जान गवानी पड़ी । इस घटना के बाद सिमी की सुभ चिन्तक कांग्रेस की पर्तिक्रिया वोही पुरानी रही । लगता है वोट की लालची कांग्रेस देश को डूबा कर ही दम लेगी । आश्चर्य की बात यह है की इस घटना मे सिमी के ही शामिल होने की बात सामने आ रही है । कुछ ही दिन बीते है जब मनमोहन के दो सिपासालारो लालू यादव और रामविलास पासवान ने सिमी का साथ देते हुए कहा था की उस पर से पर्तिबंध हटाया जाना चाहिये । जब तक देश मे कांग्रेस , लालू , रामविलास, मुलायम जैसे लोग रहेंगे , देश मे धमाके होते रहेंंगे ।

शनिवार, 13 सितंबर 2008

धमाके दर धमाके इस्लामी आतंकबाद

१३ सितम्बर देश के दिल दिल्ली के लिए मनहूस रही । आतंकियो ने दिल्ली को निशाना बनाया और लासो की लाइन लग गई । इन धमाको मे फिर इस्लामी आतंकियो के हाथ की बात सामने आई है .

गुरुवार, 11 सितंबर 2008

११ सितम्बर और १३ दिसम्बर



आतंक से पीड़ित देशो के लिए ११ सितम्बर और १३ दिसम्बर पीडादायक है । ११ सितम्बर को महासक्ति अमेरिका को निशाना बना कर इस्लामी आतंकियो ने विश्व को हिला दिया था । वैसे ही १३ दिसम्बर को भारत की संसद पर पाकिस्तान पोषित आतंकियो ने हमला कर भारत को ललकारा था । अब बात करे करवाई की । ११ सितम्बर के बदले अमरीका इराक , अफगानिस्तान को बर्बाद कर चुका है । उसका अगला निशाना पाकिस्तान है । वही संसद पर हमले का आरोपित भारत की जेल मे मेहमान बन कर रोटी तोड़ रहा है । आप जानते है ऐसा क्यों हो रहा है , क्योंकि अफजल मुस्लिम है और कांग्रेस की निति है - देश चाहे भाड़ मे जाए उसका वोट बैंक ख़राब नही होना चाहिये । येही फर्क है ११ सितम्बर और १३ दिसम्बर मे ।

मुस्लमान क्यों भरोसे के काबिल नही है

भारत मे कहा जाता है मुस्लमान भरोसे के काबिल नही है । यह कड़वी किंतु घिनौनी सचाई है । हमारे देश के बुधिजीबी ऐसा नही मानते है । उनका कहना होता है की हमारे देश मे पाकिस्तान से जायदा मुस्लमान रहते है । वे हमारे विकास मे बराबर के भागीदार है । उन्हें देशभक्ति के लिए परमानपत्र की जरुरत नही है । बुधिजीबी लोगो का यह कहना सही है की हमारे देश मे पाकिस्तान से जायदा मुस्लमान रहते है , पर उंनका यह कहना ग़लत है उनकी नियत पर सक नही किया जा सकता है । आज़ादी के बाद देश मे हजारो ऐसे अवसर आए है , जब उनका चरित्र संदेह के घेरे मे रहा है । अमरनाथ जमीन आन्दोलन के विरोध मे हुए कश्मीर आन्दोलन मे पाकिस्तान के झंडे लहराए गए । क्या है यह । देश मे कही भी बम बिस्फोट होते है तो मामले मे मुस्लमान ही पकड़े जाते है । इसे क्या माना जन चाहिये । भारत उन्हें सबकुछ देता है पर वे अपनी देशभक्ति भारत को नही देते है । यह शर्म की बात है ।

मंगलवार, 9 सितंबर 2008

सिमी के शुभचिंतको को क्या कहा जाए

कुछ दिन हुए जब कोर्ट ने सिमी पर लगाये गए पर्तिबध को जारी रखने का आदेश दिया । पर इसके विरोध मे सिमी के इतने रहनुमा नेता सामने आ गए । लालू यादव , रामविलास पासवान , मुलायम यादव , अमर सिंह जैसे नेता इस तरह पेश आए मानो वो इस देश के नही पाकिस्तान के वासिदे हो । वे लोग मांग करने लगे की आरएसएस पर भी पर्तिबंध लगे । मुस्लिम वोट के अंधे नेता ये भूल गए की देशभक्त और देशद्रोही संगठन मे अंतर होता है । सिमी बम ब्लास्ट से लेकर देश बाटने की कोसिस मे सामिल रहनेवाला सगठन है , इसे देश का बच्चा - बच्चा जनता है । शर्म की बात यह है की लालू और पासवान देश के कैबिनेट मंत्री है । ऐसे मे सिमी के शुभ चिंतको को क्या कहा जा सकता है , लोगो को ख़ुद ही फ़ैसला करना चाहिये ।

सोमवार, 8 सितंबर 2008

नरेंद्र मोदी क्यों बन सकते है पीअम

नरेंद्र मोदी भारत के पिय्म बन सकते है क्योंकि मेरा मन्ना है की सच को सच कहने वाले को हो देश की बागडोर देनी चाहिये । कुछ लोग कहते है की उनसे मुसलमानों को खतरा है । पर मै ऐसा नही मानता । मेरे हिसाब से वो ऐसे नेता है जो अपना फ़र्ज़ निभाते है । तुस्टीकरण , वोट की राजनीती उनके शब्द कोष मे नही है । अगर कोई ग़लत है तो उसे ग़लत कहने के बजाये किसी और पर ग़लत होने का आरोप लगाते हुए हंगामा मचाना भारत के नेताओ की नियति बन गई है । ग़लत को ग़लत कहने वाला भारत मे एक ही मर्द है , वो है नरेंद्र मोदी

शनिवार, 6 सितंबर 2008

हिन्दुओ के लिए बेहतर परधानमंत्री कौन

साल भर के अन्दर देश मे आम चुनाव होने है । इसमे देश अपना नया परधानमंत्री चुनेगा । जाहिर है इस पद की दौड़ मे गंभीर से लेकर कॉमेडी करने वाले लोग भी सामिल है । लाल कृष्ण अडवाणी मजबूत दावेदार बन कर उभेरे है । सोनिया गाँधी भी एक नाम है । मनमोहन सिंह , लालू यादव, मायावती जैसे अनेक नाम इस दौड़ मे सामिल है । पर एक और नाम है जिससे हिन्दुओ को काफी आस है । वो नाम है नरेंदर मोदी का । पुरे भारत मे येही एक नाम है जो सच को सच कहने की हैसियत रखता है । गुजरात को मोदी ने जिस मुकाम पर पहुचा दिया है , उसकी नक़ल पुरा देश कर रहा है । ऐसे मे मोदी ही हिन्दुओ के लिए बेहतर परधानमंत्री हो सकते है । क्योंकि वो देश हित के साथ हिंदू हित की भी बात करते है ।

गुरुवार, 4 सितंबर 2008

हिंदू ही है हिंदुत्व के दुश्मन

अगर यह पूछा जाए की हिंदुत्व के सबसे बड़े दुश्मन कौन है । तो इसका सनसनीखेज जबाव यह है की कुछ सिरफिरे और लालची हिंदू ही हिंदुत्व के सबसे बड़े दुश्मन है । इनकी सख्या कम तो जरुर है लेकिन राजनीती के वे इतने बड़े खिलाड़ी है की ख़ुद के लिए वे देश को गुमराह कर देते है । इन महानुभावो मे लालू यादव , मुलायम यादव , सोनिया गाँधी जैसे नेता शामिल है । ऐसे नेता ही देश को गुमराह कर अपनी राजनीती चमकाने के लिए हिंदुत्व को रसातल मे भेज रहे है । उन्हें मुस्लिमो की चिंता तो है पर हिंदू भाड़ मे जाए, उन्हें कोई चिता नही है । हिंदू समाज को चाहिये की वे इस कैंसर और ऐड्स को समाज से निकाल फेके । शरुआत जल्द करनी होगी नही तो करने को कुछ भी नही बचेगा । क्या समाज इन सभी पहलुओ पर विचार करेगा । समाज यह कर सकता है की वो इन्हे चुनाव मे हरा दे ।

बुधवार, 3 सितंबर 2008

समझौताबादी हो गए है हिंदू

समझौताबादी हो गए है हिंदू । उनके धर्म स्थल अतिकर्मन में है । उन्हें धार्मिक कामो के लिए जमीन दुसरो से पूछ कर दी जा रही है । उनकी संस्कृति का मजाक बनाया जा रहा है । अयौध्या, काशी, मथुरा, धार, अमरनाथ सब के सब उद्धार की बाट जोह रहे है । कोई उन्हें गाली दे , उनके भगवान का मजाक बनाये, उनकी नंगी तस्वीर बनाये , कोई फर्क नही पड़ता है । साबरमती मे राम सेवक जलाये गए तो कहा गया की आग से लगाई गई थी । राम सेतु को काल्पनिक बताया गया , लेकिन वोही ठंडी परतीक्रिया आई । यह सही है की भारत मे लोक तंत्र है , पर इसका यह मतलब कहा से निकाल लिया गया की सांति का ठेका हिन्दुओ का ही है । इस तस्वीर मे ऍम अफ हुसैन ने हिन्दुओ का कैसा मजाक बनाया था , आप ख़ुद देखे । आपको याद होगा की मोहमद साहब की कार्टून बनने पर कैसा बवाल मचा था । समझौताबादी बने पर धर्म की कीमत पर नही .

सोमवार, 1 सितंबर 2008

अमरनाथ मामले मे सच जीता


अमरनाथ मामले मे सच जीता, ऐसा अब कहा जा सकता है । अमरनाथ बोर्ड को जमीन दिया जाना भारत मे हिन्दुओ के इतिहास का गोल्डन फ़ैसला है । यह अब तय हो गया है की इस मामले मे नेता लोग मुस्लिम वोट की राजनीती कर रहे थे । इस फैसले से यह साबित हो गया है की हमेसा काठ की हांडी आग पर नही चढ़ सकती है । वोट के सौदागर इसे समझ ले ।

अयौध्या विवाद का क्या हल हो सकता है


अयौध्या हिदुओ के लिए वैसे ही है जैसा की मुस्लिमो के लिए मक्का । अफ़सोस इस बात का है की भारत के नेता लोगो ने इसे विवाद का केंद्र बना दिया है । विवाद की सरेनी में काशी, मथुरा भी शामिल कर दिए गए है । यानि हिदुओ का कोई धार्मिक स्थल विवाद से नही बचा है । यह तब है जब हिन्दुओ की आबादी ७५ परसेंट है । हिन्दुओ के सभी धार्मिक स्थल मुस्लिम अतिकर्मन के शिकार है । इतिहास भी इसका गवाह है । पर वोट और तुस्तीकरण के चक्कर मे सब गड़बड़ कर दिया गया है । यह नेशनल शर्म की बात है । इस बात को मुस्लिम भी जानते है । अब सवाल यह है की अयौध्या हिन्दुओ को कैसे बापस मिल सकता है । ब्लॉग के पाठक इसपर अपनी राय लिखे । साथ मे आप यह भी बताये की क्या मुस्लिमो को इन तीनो जगहों से अपना दावा हटा लेना चाहिये की नही ।

शनिवार, 30 अगस्त 2008

कंधमाल से उठते सवाल


कंधमाल मे विहिप के लक्षमनानंद की हत्या के बाद ओडिसा जल रहा है । इस घटना के बाद धरमांतरण के विरोध मे लोगो का विरोध सड़क पर दिख रहा है । किंतु मीडिया फिर वही कहानी बता रही है की इसाई लोगो को निशाना बनाया जा रहा है । मीडिया का रोल कुछ वैसा ही है जैसा गोधरा के समय था । यह सही है की कंधमाल मे दंगो जैसे स्तीथि है लेकिन कोई यह नही बता रहा है की आखिर स्तीथि क्यो बनी । यह कोई बताने की बात नही है की भारत मे धरमांतरण कैसे कराया जाता है । अपढ़ लोगो को रिश्वत देकर , उन्हें सब्जबाग दिखा कर इसाई बना दिया जाता है । स्तीथि ऐसे कर दी जाती है की सामाजिक सतुलन बिगड़ जाता है । येही वो कारन है की जो दंगो की भूमिका बनाता है । दुःख तो इस बात का है की मीडिया कंधमाल को ऐसे पेश कर रही की हिन्दुओं द्वारा इसाई को तंग तबाह किया जा रहा है । लक्षमनानंद की हत्या मे इसाई के हाथ होने की बात कही जा रही है । बेहतर होता की मीडिया धरमांतरण के मुदे को भी केंद्र में रख कर कंधमाल का सच दिखाती । ऐसा मै इस लिए लिख रहा हूँ की मै ख़ुद मीडिया मे हूँ और ऐसे ख़बरों के साथ क्या- क्या होता है , मै बेहतर जनता हूँ । कंधमाल दिखाए मगर सच के साथ ।

गुरुवार, 28 अगस्त 2008

फिर सिर उठता इस्लामिक आतंकवाद


भारत में इस्लामिक आतंकवाद फिर सिर उठा रहा है । जम्मू के आतंकबादी हमले इसकी पुष्टि करते है । बुधवार 28अगस्त को हुए हमले ने यह साफ कर दिया है की जम्मू की अशांति का आतंकबादी फायदा उठा रहे है । घाटी की हालत पाकिस्तान के सुभचिंतको के लिए मुफीद साबित हो रही है । तभी तो महबूबा मुफ्ती और फारुक अब्दुला ऐसे बयान दे रहे है मानो वो भारत के नही पाकिस्तान के नागरिक हो मुज्फराबाद मार्च के समय उन्की भूमिका देश द्रोही के सामान रही थी । महबूबा ने कहा था की पाकिस्तान का झंडा लहराया जाना जनता की परतीक्रिया थी । हमे शर्म आनी चाहिये की ऐसे लोगो को हम अपना नेता मानते है जिनके लिए भारत की कोई अहमियत ही नही है ।

बुधवार, 27 अगस्त 2008

अमरनाथ जमीन मामले पर किसने क्या कहा

अमरनाथ जमीन मामले पर धरमनिरपेछ नेता लोग की सुनिए

महबूबा मुफ्ती

अमरनाथ बोर्ड को जमीन देने से कश्मीर का सामाजिक संतुलन बिगड़ जाएगा । महबूबा जी आप तब कहा थी जब कश्मीरी पडित को वहा से भगाया जा रहा था ।

लालू यादव

अमरनाथ बोर्ड को जमीन देने को लेकर भाजपा द्वारा राजनीती की जा रही है । जमीन देने से धरमनिरपेछता को हानि होगी । लालू जी हज टर्मिनल और हज हाउस के लिए जब जमीन ली जाती है तब तो आप ऐसा नही कहते है । लालू जी सिमी का स्वागत करने समय आपका यह दिमाग कहा चला जाता है ।

मुलायम यादव

अमरनाथ बोर्ड जमीन को लेकर सम्पर्दायिकता फल्लाई जा रही है । मुलायम महोदय यूपी मेंं तुस्टीकरण करने समय आप सब कुछ भूल जाते है । सिमी से लेकर अतीक अहमद , कहा तक ...बताया जाए ।

मंगलवार, 26 अगस्त 2008

हिंदू की सही समझ विकसित करना जरुरी


कुछ भी कहने से पहले मै बता दूँ की यह पोस्ट " भारत को हिंदू देश बनाये ", पर मिली पर्तिकूल टिप्पणी का काउंटर जवाब नही है । हिदू देश , येही वो शब्द जो शायद कुछ लोगो को ग़लत लगी । मेरे हिसाब से हिंदू देश का मतलब यह होना चाहिये की जहा वोट के लिए हिंदू की भावनाओ को दबाया नही जाए । अमरनाथ मामले मे येही तो हो रहा है । वोट के लिए घुसपैठ को जायज बताया जा रहा है । सिमी जैसे सगठन का वोट के लिए समर्थन किया जा रहा है । अयौध्या का मामला वोट के लिए लटका हुआ है । कहा जाता है की अयौध्या काल्पनिक जगह है । रामसेतु पर क्या क्या कहा गया , बताने की जरुरत नही है । ऐसे में देश को करम से नही धरम से हिंदू बनाने की जरुरत है । जय भारत।

रविवार, 24 अगस्त 2008

और कितना जलाओगे जम्मू कश्मीर को


मुस्लिम्बाद और तुस्टीकरण की राजनीती के कारन घाटी एक महीने से जल रही है । अब तो कांग्रेस और पीडीपी से सवाल किया जा रहा है की और कितना जलाओगे जम्मू कश्मीर को । कम ही लोगो को पता होगा की जिस जमींन को देने से इंकार किया जा रहा है वह सरकारी है । ऐसे में यह पुरा खेल मुस्लिमो को खुस रखने के लिए चल रहा है । कांग्रेस का यह रवय्या देश को बटवारे की ओर ले जाएगा । क्या कांग्रेस के नेता इसका जवाब देंगे।

गुरुवार, 21 अगस्त 2008

अमरनाथ पर देश क्यों चुप है


अमरनाथ को लेकर जम्मू को जलते एक महींने हो गए है । पर बाकि देश में लोग ऐसे चुप है की मानो जम्मू किसी दुसरे देश का हिस्सा है । यह ग़लत बात है । और देश की अखंडता के लिए खतरा है । भाजपा सहित कुछ संघटन जेल भरो अभियान चला रहे है , यह स्वागत के लायक है । पर देश की उदासीनता सही नही है । ऐसा नही है की अमरनाथ केवल जम्मू के हिन्दुओं का है । जमींन के लिए पुरे देश को एक मंच पर आना चाहिये । नही तो यह मुद्दा भी सेकुलर नेता आयौध्या मुद्दे जैसा बना देंगे।

सोमवार, 18 अगस्त 2008

अमरनाथ यात्रा क्या अगले साल हो सकेगी


अमरनाथ यात्रा पर इश साल इतना विवाद हुआ है की अगले साल इसके होंने पर काला साया मंडरा रहा है । सोनिया और मनमोहन की मंडली से अमरनाथ यात्रिओं को काफी निराशा हुए है। अमरनाथ यात्रिओं के लिए जमीन न देकर कांग्रेस ने अपना गंदा इस्लामिक चेहरा दिखा दिया है। यह वोही कांग्रेस है जिसने सह्बंनो मामले और पोटा मामले मै संबिधान का मजाक बना दिया था । अगर अमरनाथ यात्रा बंद होती है या लोगो का आकषण कम होता है तो यह नेशनल शरम की बात होगी ।

रविवार, 17 अगस्त 2008

ताजमहल कया है


ताजमहल को दुनिया एक मुस्लिम स्मारक के तौर पर जानती है । कम हो लोगो को पता होगा की यह कभी हिंदू भवन रहा था , जिसे तोड़ कर साह्जहाँ ने मकबरा बनवा दिया । हालत यह की इतिहास की ईश कृति में आज भी हिंदू निसान मौजूद है । वोट का अँधा देश इशे देखेगा ।

शनिवार, 16 अगस्त 2008

यह है भारत की आज़ादी



१५ अगस्त को आज़ादी दिवस मनाया गया । लोगो ने भारत में ऐसे खुसी मनाई । आखिर आज़ादी की खुसी ऐसे ही होती है । किंतु १५ अगस्त से ३ दिन पहले कश्मीर में कुछ लोगो ने ऐसे पाकिस्तान का धवज फाराय.

सोमवार, 11 अगस्त 2008

भारत को हिंदू देश बनाये


भारत को हिंदू देश बनाये । इसके लिए हमे आगे आना होगा .

कब बुझेगी जम्मू की आग

जम्मू जल रहा है , लेकिन सोनिया गाँधी ओलिम्पिक घुमने में मस्त है। देश की जनता को याद है की यही सोनिया गुजरात दंगो के समय विधवा बिलाप करने रोज वहा पहुच जाती थी ।

मंगलवार, 5 अगस्त 2008

मुसलमानों को हज के लिए सुबकुछ हिन्दुओ को जमीन क्यों नही

भारत में ८० करोड़ हिंदू है । उनकी मांग है की उन्हें अमरनाथ यात्रीओं के लिए ४० एकर जमीन दी जाए । पर यह नही हो रहा क्योंकि येहा की सत्ता में पाकिस्तानी और विदेशी लोग बैठे है। क्या हो रहा है यह । मन की यहाँ लोकतंत है पर इसका यह मतलब नही है की एक को सुब कुछ और दुसरो को कुछ भी नही दिया जाए । येही होता रहा तो देश बट जायेगा ।

सोमवार, 4 अगस्त 2008

कश्मीर में मीडिया पर पर्तिबंध को क्या समझा जाए

कशमीर जल रहा है। लेकिन इसका कारण आतंकबाद नही बल्कि मुस्लिम्बाद है । अमरनाथ मुद्दे पर वह के राज्यपाल ने जो गंदे और घटिया कदम उठाये है वो निंदा के दायरे में आते है। मीडिया को वहा की ख़बर देने से बस इसलिए रोकना की मुस्लिम नाराज हो जायेंगे , वोट बैंक की राजनीती ही है। हमारे देश में नेता वोट के लिए अपनी बेटी भी मुस्लिम को देने से गुरेज नही करेंगे और येही कांग्रेस , upa के नेता कर रहे है। येही हाल रहा ततो देश पाकिस्तान बन जाएगा

बुधवार, 30 जुलाई 2008

मंगलवार, 29 जुलाई 2008