शनिवार, 5 दिसंबर 2009

देखते-देखते ढहा दी गई थी बाबरी मस्जिद
















छह दिसंबर 1992 को बाबरी मस्जिद ढहाई थी मस्जिद की जगह भगवान राम के मंदिर को लेकर शुरू हुए आंदोलन का सबसे अधिक फायदा भाजपा को मिला और वह सत्ता में आई। लेकिन, बाद में भाजपा अपने मूल मुद्दे से पीछे हट गई और राम मंदिर निर्माण को हाशिए पर डाल दिया। बाबरी मस्जिद गिराने के लिए जिम्मेदार कांग्रेस थी। क्योंकि उस वक्त केंद्र की सत्ता में कांग्रेस की सरकार थी और उसने मस्जिद को बचाने का कोई खास प्रयास नहीं किया। पेश है कि बाबरी मस्जिद को ढहाने जाने की कुछ तस्वीरें

विवादित ढाचे की वरसी

अयोध्‍या में राम जन्‍मभूमि का इतिहास कई सदी पुराना है। उत्‍तर प्रदेश के अयोध्‍या का विवाद देश के हिंदू और मुस्लिम, दोनों समुदाय के बीच तनाव का सबसे बड़ा कारण है। इसी के साथ देश की राजनीति को को भी प्रभावित करता रहा है। भाजपा, आरएसएस, विश्व हिंदू परिषद जैसे भगवा संगठन इस विवादास्पद स्थल पर मंदिर बनाना चाहती है, जहाँ पहले मस्जिद थी. जानिए की समय का पहिया कैसे-कैसे चला और इसी के साथ भारतीय राजनीति के साथ भारतीय समुदाय में भी क्‍या क्‍या बदलाव आया। बात पांच सौ साल से भी अधिक पुरानी है। जब अयोध्या में एक मस्जिद का निर्माण किया गया लेकिन कुछ हिंदूओं को कहना था कि इसी जमीन पर भगवान राम का जन्‍म हुआ था। यह मस्जिद बाबर ने बनवाई थी जिसके कारण इसे बाबरी मस्जिद कहा जाने लगा। लेकिन कई इतिहासकारों का मानना है कि बाबर कभी अयोध्‍या गया ही नहीं।1853 : मस्जिद के निर्माण के करीब तीन सौ साल बाद पहली बार इस स्‍थान के पास दंगे हुए।1859 : ब्रिटिश सरकार ने विवादित स्थल पर बाड़ लगा दी और परिसर के भीतरी हिस्से में मुसलमानों को और बाहरी हिस्से में हिंदुओं को प्रार्थना करने की इजाजत दी।1949 : भगवान राम की मूर्तियां कथित तौर पर मस्जिद में पाई गयीं। माना जाता है कि कुछ हिंदूओं ने ये मूर्तियां वहां रखवाईं थीं। मुसलमानों ने इस पर विरोध व्यक्त किया। जिसके बाद मामला कोर्ट में गया। जिसके बाद सरकार ने स्थल को विवादित घोषित करके ताला लगा दिया।1984 : विश्व हिंदू परिषद ने इस विवादित स्‍थल पर राम मंदिर का निर्माण करने के लिए एक समिति का गठन किया। जिसका नेतृत्व बाद में भाजपा के के नेता लालकृष्ण आडवाणी ने किया।1992 : भाजपा, विश्व हिंदू परिषद और शिव सेना के कार्यकर्ताओं ने 6 दिसंबर को बाबरी मस्जिद को तोड़ दिया। जिसके बाद पूरे देश में हिंदू और मुसलमानों के बीच दंगे भड़क उठे। दो हजार से भी अधिक लोगों की इसमें जान गई।2001 : बाबरी मस्जिद विध्वंस की बरसी पर पूरे देश में तनाव बढ़ गया और जिसके बाद विश्व हिंदू परिषद ने विवादित स्थल पर राम मंदिर निर्माण करने के अपना संकल्प दोहराया।फ़रवरी 2002 : भाजपा की अपनी गलती का अहसास। भारतीय जनता पार्टी ने उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव के लिए अपने घोषणापत्र में राम मंदिर निर्माण के मुद्दे को शामिल करने से इनकार कर दिया। विश्व हिंदू परिषद ने 15 मार्च से राम मंदिर निर्माण कार्य शुरु करने की घोषणा कर दी. सैकड़ों हिंदू कार्यकर्ता अयोध्या में इकठ्ठा हुए. अयोध्या से लौट रहे हिंदू कार्यकर्ता जिस रेलगाड़ी में यात्रा कर रहे थे उस पर गोधरा में हुए हमले में 58 कार्यकर्ता मारे गए.13 मार्च, 2002 : सर्वोच्च न्यायालय ने अपने फ़ैसले में कहा कि अयोध्या में यथास्थिति बरक़रार रखी जाएगी और किसी को भी सरकार द्वारा अधिग्रहीत ज़मीन पर शिलापूजन की अनुमति नहीं होगी. केंद्र सरकार ने कहा कि अदालत के फ़ैसले का पालन किया जाएगा.15 मार्च, 2002 : विश्व हिंदू परिषद और केंद्र सरकार के बीच इस बात को लेकर समझौता हुआ कि विहिप के नेता सरकार को मंदिर परिसर से बाहर शिलाएं सौंपेंगे. रामजन्मभूमि न्यास के अध्यक्ष महंत परमहंस रामचंद्र दास और विहिप के कार्यकारी अध्यक्ष अशोक सिंघल के नेतृत्व में लगभग आठ सौ कार्यकर्ताओं ने सरकारी अधिकारी को अखाड़े में शिलाएं सौंपीं।22 जून, 2002 : विश्व हिंदू परिषद ने मंदिर निर्माण के लिए विवादित भूमि के हस्तांतरण की माँग उठाई।जनवरी 2003 : रेडियो तरंगों के ज़रिए ये पता लगाने की कोशिश की गई कि क्या विवादित राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद परिसर के नीचे किसी प्राचीन इमारत के अवशेष दबे हैं, कोई पक्का निष्कर्ष नहीं निकला।मार्च 2003 : केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट से विवादित स्थल पर पूजापाठ की अनुमति देने का अनुरोध किया जिसे ठुकरा दिया गया।अप्रैल 2003 : इलाहाबाद हाइकोर्ट के निर्देश पर पुरातात्विक सर्वेक्षण विभाग ने विवादित स्थल की खुदाई शुरू की, जून महीने तक खुदाई चलने के बाद आई रिपोर्ट में कोई ठोस निष्कर्ष नहीं निकला।मई 2003 : सीबीआई ने 1992 में अयोध्या में बाबरी मस्जिद गिराए जाने के मामले में उपप्रधानमंत्री लालकृष्ण आडवाणी सहित आठ लोगों के ख़िलाफ पूरक आरोपपत्र दाखिल किए।जून 2003 : काँची पीठ के शंकराचार्य जयेंद्र सरस्वती ने मामले को सुलझाने के लिए मध्यस्थता की और उम्मीद जताई कि जुलाई तक अयोध्या मुद्दे का हल निश्चित रूप से निकाल लिया जाएगा, लेकिन ऐसा कुछ नहीं हुआ।अगस्त 2003 : भाजपा नेता और उप प्रधानमंत्री ने विहिप के इस अनुरोध को ठुकराया कि राम मंदिर बनाने के लिए विशेष विधेयक लाया जाए।अप्रैल 2004 : आडवाणी ने अयोध्या में अस्थायी राममंदिर में पूजा की और कहा कि मंदिर का निर्माण ज़रूर किया जाएगा।जनवरी 2005 : लालकृष्ण आडवाणी को अयोध्या में छह दिसंबर 1992 को बाबरी मस्जिद के विध्वंस में उनकी भूमिका के मामले में अदालत में तलब किया गया।जुलाई 2005 : पाँच हथियारबंद आतंकवादियों ने विवादित परिसर पर हमला किया। इसमें पाँचों समेत सहित छह लोग मारे गए।28 जुलाई 2005 : लालकृष्ण आडवाणी 1992 में बाबरी मस्जिद विध्वंस मामले में रायबरेली की अदालत में पेश। अदालत में लालकृष्ण आडवाणी के ख़िलाफ़ आरोप तय। 20 अप्रैल 2006 : यूपीए सरकार ने लिब्रहान आयोग के समक्ष लिखित बयान में आरोप लगाया कि बाबरी मस्जिद को ढहाया जाना सुनियोजित षड्यंत्र का हिस्सा था और इसमें भाजपा, राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ, बजरंग दल और शिव सेना के शामिल।.जुलाई 2006 : सरकार ने अयोध्या में विवादित स्थल पर बने अस्थाई राम मंदिर की सुरक्षा के लिए बुलेटप्रूफ़ काँच का घेरा बनाए जाने का प्रस्ताव किया. मुस्लिम समुदाय ने विरोध किया।30 जून 2009 : बाबरी मस्जिद ढहाए जाने के मामले की जाँच के लिए गठित लिब्रहान आयोग ने 17 वर्षों के बाद अपनी रिपोर्ट प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह को सौंपी।23 नवंबर 2009 : एक अंग्रेजी अखबार में आयोग की रिपोर्ट लीक, संसद में हंगामा।
रिपोर्ट दैनिक भास्कर पर आधारित

मंगलवार, 1 दिसंबर 2009

लिब्रहान रिपोर्ट की सियासत

'राम मंदिर पर अपना मुंह बंद रखें आडवाणी'
बाबरी मस्जिद विध्वंस की जांच संबंधी लिबरहान आयोग की रिपोर्ट को तथ्य से परे बताते हुए विश्व
हिंदू परिषद (वीएचपी) ने कहा कि इस मामले पर बीजेपी के वरिष्ठ नेता लालकृष्ण आडवाणी को प्रतिकूल टिप्पणी करने से मना किया जाएगा। वीएचपी ने रिपोर्ट पर पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी का नाम शामिल होने पर कुछ भी कहने से इनकार किया। हालांकि संगठन ने इस बात को स्वीकार किया कि वाजपेयी मंदिर आंदोलन से जुड़े रहे थे। वीएचपी के अंतरराष्ट्रीय अध्यक्ष आशोक सिंघल ने कहा सामाजिक सद्भाव कायम करने के लिए मुस्लिम समाज को आयोध्या, काशी और मथुरा के हिंदू धर्मस्थलों पर अपना दावा छोड़ देना चाहिए। साथ ही केंद्र सरकार को कानून बना कर राम जन्मभूमि स्थल पर मंदिर निर्माण का रास्ता साफ करना चाहिए। जैसा सोमनाथ मंदिर की स्थापना के लिए जवाहरलाल नेहरू मंत्रिमंडल के समय सरदार पटेल के नेतृत्व में किया गया था।
हमें बाबरी मस्जिद ढहने का दुख नहीं: संघ
लिबरहान आयोग की रिपोर्ट पर प्रतिक्रिया देते हुए आरएसएस प्रवक्ता राम माधव ने स्पष्ट तौर पर कहा कि हमें विवादित ढांचे के ढहने का कोई दुख नहीं है। यह पूछे जाने पर ही ढांचा गिराने की जिम्मेदारी संगठन स्पष्ट तौर पर क्यों नहीं ले रहा है , तो उन्होंने हमेशा की तरह घुमावदार बात कहते हुए कहा कि यह जनआंदोलन था और हम कारसेवकों की भावनाओं की कद्र करते हैं। उस दिन जो हुआ वह अनायास था , कोई तयशुदा काम नहीं था। इसके लिए कोई भी दोषी नहीं है। यहां गौर करने वाल बात है कि सोमवार को बीजेपी के वरिष्ठ नेता लाल कृष्ण आडवाणी ने बाबरी ढांचे के गिरने को दुखद बताया था, वहीं संघ इस काम के लिए जरा भी दुख व्यक्त न करते हुए, उससे उलट बात कह रहा है।
कांग्रेस ने माना राव रहे थे नाकाम
कांग्रेस ने स्वीकार किया है कि तत्कालीन प्रधानमंत्री नरसिंह राव बाबरी मस्जिद की सुरक्षा करने में नाकामयाब रहे थे। हालांकि कांग्रेस ने यह नहीं माना कि राव मस्जिद गिराए जाने की साजिश में शामिल थे। लिबरहान आयोग की रिपोर्ट पर तीखे सवालों से घिरे कांग्रेस प्रवक्ता डॉ. शकील अहमद ने कहा कि मस्जिद गिरने के बाद जनता द्वारा तीखी आलोचना के बाद कांग्रेस ने 1998 के लोकसभा चुनाव में राव को टिकट देने से इनकार कर दिया था। गौरतलब है कि लिबरहान कमिशन ने राव को दिन में सपने देखने वाला प्रधानमंत्री तो बताया मगर उन्हें मस्जिद गिराए जाने का दोषी नहीं बताया। कांग्रेस ने कहा कि पार्टी दो बार मस्जिद गिराए जाने के लिए माफी मांग चुकी है। पहली बार तत्कालीन पार्टी अध्यक्ष केसरी और फिर सोनिया गांधी ने माफी मांगी। कांग्रेस ने कहा कि राव प्रत्यक्ष दोषी नहीं थे।
वाजपेयी दोषी नहीं है: जस्टिस लिबरहान
जस्टिस लिबरहान ने कहा है कि उनकी रिपोर्ट में अटल बिहारी वाजपेयी को दोषी नहीं ठहराया गया है। उन्होंने कहा कि रिपोर्ट में वाजपेयी का नाम आया जरूर है, पर इसका मतलब यह नहीं है कि रिपोर्ट ने उन्हें दोषी माना है। जस्टिस लिबरहान ने कहा है कि रिपोर्ट को सही संदर्भ में पढ़ने की जरूरत है। जब वाजपेयी को कमिशन के सामने पेश होने के लिए बुलाया ही नहीं गया, तो उनको कैसे दोषी ठहराया दिया गया? इस पर जस्टिस लिबरहान ने कहा, 'मैंने वाजपेयी को अपनी रिपोर्ट में दोषी नहीं ठहराया है।' उन्होंने कहा, 'कृपया रिपोर्ट को सही संदर्भ में पढ़िए उन्होंने लोगों से आग्रह किया कि वे रिपोर्ट का मनगढ़ंत अर्थ न निकालें।
लिबरहान आयोग की रिपोर्ट संसद में पेश
लोकसभा में मंगलवार को लिबरहान आयोग की रिपोर्ट लोकसभा में पेश की गई। यह रिपोर्ट 2 बजे राज्यसभा में भी पेश की जानी चाहिए। लोकसभा में यह रिपोर्ट होम मिनिस्टर पी. चिदंबरम ने पेश की । रिपोर्ट अंग्रेजी में पेश की गई। रिपोर्ट में बहस बाद में की जाएगी, लेकिन विपक्ष ने तुरंत बहस की मांग की। इससे पहले वित्तमंत्री प्रणब मुखर्जी की अध्यक्षता में मंगलवार सुबह बुलाई गई केंद्रीय मंत्रिमंडल की आपात बैठक में लिबरहान आयोग की जांच रिपोर्ट संसद में पेश किए जाने के मसले पर चर्चा हुई। लिबरहान आयोग का गठन 1992 में अयोध्या में विवादित ढांचे के विध्वंस के मामले की जांच के लिए किया गया था। बाबरी मस्जिद विध्वंस मामले की जांच कर रहे लिबरहान आयोग की रिपोर्ट 17 साल बाद मंगलवार को संसद में पेश हुई। संसदीय कार्य मंत्री पवन कुमार बंसल ने लोकसभा की बैठक शुरू होने पर सूचित किया कि गृह मंत्री प्रश्नकाल समाप्त होने के बाद दोपहर 12 बजे लिबरहान आयोग की रिपोर्ट सदन में पेश करेंगे। सदन की बैठक शुरू होते ही बीजेपी संसदीय दल की उपनेता सुषमा स्वराज ने यह मामला उठाया और कहा कि कल एक अखबार में प्रकाशित होने के बाद आज सभी अखबारों में यह रिपोर्ट छपी है और संसद में उसे पेश नहीं किया जाना दुर्भाग्यापूर्ण है। इस पर बंसल ने रिपोर्ट को दोपहर 12 बजे पेश किए जाने की सूचना दी। साथ ही अध्यक्ष मीरा कुमार ने कहा कि वह इस मुद्दे पर सदस्यों को अपनी बात भी रखने की अनुमति देंगी लेकिन चूंकि मामले की जांच चल रही है तो सदस्य उसी को ध्यान में रखते हुए संक्षेप में अपनी बात रखें।
[सभी रिपोर्ट media की खबरों पर आधारित ]

मंगलवार, 17 नवंबर 2009

फिर राम की शरण में कल्याण-उमा

उमा भारती और अब कल्याण सिंह। भाजपा के बाहर गए पिछड़ा वर्ग के ये दोनों पूर्व मुख्यमंत्री फिर से पार्टी के करीब आना चाहते हैं। उमा ने राजग का हिस्सा बनने की पेशकश की है तो सपा से तलाक के बाद कल्याण सिंह भी एक बार फिर भाजपा की तरफ देख रहे हैं। दोनों नेताओं के साथ पिछले अनुभवों को देखते हुए भाजपा ने फिलहाल चुप्पी साध ली है और यह मसला भावी अध्यक्ष के लिए छोड़ दिया है। वैसे भी इन दोनों का अपने-अपने प्रदेशों में भारी विरोध है और पार्टी ऊपर से नीचे तक बंटी हुई है।
बीते दो दशक में भाजपा की सफलता में पिछड़ा वर्ग के समर्थन की बड़ी भूमिका रही है। यही वजह है कि पार्टी के भीतर कई तरह के तूफान खड़े करने के बाद भी उमा भारती व कल्याण सिंह एक-एक बार पार्टी से बाहर जाने के बाद लौटे भी थे। तब से अब हालात काफी बदल चुके हैं। ये दोनों नेता अपने-अपने प्रदेश में अपनी ताकत आजमा चुके हैं। उमा भारती तो खुद विधानसभा चुनाव हार चुकी हैं। कल्याण भी एक क्षेत्र विशेष के बाहर कुछ कमाल नहीं कर सके हैं। इसके अलावा, इन दोनों ने पार्टी से बाहर होने के बाद भाजपा के खिलाफ जो बयान दिए वे अभी भी पार्टी को चुभते हैं। सोमवार को पार्टी के एक वरिष्ठ नेता की यह टिप्पणी काबिल-ए-गौर है, 'भाजपा कोई 'धर्मशाला' नहीं है, जब चाहो चले जाओ और जब चाहो आ जाओ।'
हालांकि भाजपा में कुछ नेता ऐसे भी हैं जो दोनों को माफ कर वापस लेने की वकालत कर रहे हैं। विनय कटियार का बयान इसी दिशा में है। दूसरी तरफ उनके खिलाफ विरोध के सुर भी गूंजने लगे हैं। इधर भाजपा नेतृत्व ने इस मामले पर फिलहाल चुप्पी साथ ली है। वैसे भी संसद सत्र व झारखंड के चुनाव के कारण वह अपना ध्यान दूसरे मुद्दों पर नहीं लगाना चाहती है। भावी राजनीति के हिसाब से इन दोनों नेताओं का मामला संवेदनशील है। इसलिए इस मामले पर संघ की राय सबसे अहम होगी। उमा भारती के मामले पर वह भविष्य की रणनीति को देखते हुए नरम रुख अपना भी सकता है, लेकिन कल्याण सिंह का मामला दूसरा है। हालांकि उनके लिए भी संघ व भाजपा की एक लाबी सक्रिय हो गई है।
मुलायम सिंह अपना मानसिक संतुलन खो बैठे हैं:कल्याण सींह
उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री कल्याण सिंह ने समाजवादी पार्टी प्रमुख मुलायम सिंह पर हमला बोलते हुए कहा है कि वह हार की वजह से अपना मानसिक संतुलन खो बैठे हैं। उनके बेटे और समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव राजवीर सिंह ने समाजवादी पार्टी छोड़ने का एलान करते हुए कहा कि जिस पार्टी में बाबूजी का असम्मान हो उसमें बने रहने का कोई मतलब नहीं रह जाता। रविवार को एक प्रेस कॉन्फ्रंस में कल्याण सिंह और राजवीर सिंह ने कहा कि धोखा देना मुलायम सिंह की फितरत रही है। यही काम उन्होंने हमारे साथ किया है। कल्याण सिंह ने कहा कि 'मुलायम आज कह रहे हैं कि मुझे समाजवादी पार्टी में शामिल नहीं करेंगे। तथ्य यह है कि खुद मुलायम सिंह और अमर सिंह ने मुझे समाजवादी पार्टी में शामिल होने का आमंत्रण दिया था। घर आकर उन दोनों ने आग्रह किया था कि मैं उनकी पार्टी में शामिल हो जाऊं। जब मैं इसके लिए तैयार नहीं हुआ तब उन्होंने कहा कि ठीक है, हमें राजवीर दे दीजिए। फिर हम राजवीर समाजवादी पार्टी में शामिल हुए।' कल्याण सिंह ने कहा कि मुलायम आज भी हार के कारणों की समीक्षा नहीं कर रहे। वह हार का ठीकरा मेरे सिर पर फोड़ रहे हैं, यह कहते हुए कि कल्याण सिंह की वजह से मुस्लिम वोट उनसे टूट गए। अगर थोड़ी देर को यह मान भी लिया तो फिरोजाबाद में यादव वोट उनसे क्यों कटे? अपने गृह क्षेत्र इटावा में उन्हें क्यों हार का मुंह देखना पड़ा? भरथना में क्यों उनकी पार्टी जीत नहीं सकी?' उन्होंने कहा, 'मुझे इस बात का अफसोस है कि मैं मुलायम सिंह की अवसरवादी फितरत को समय रहते पहचान नहीं सका इसका नुकसान मुझे हुआ है। मेरे समर्थक भी इस वजह से बहुत परेशान हुए हैं।' पीटीआई के मुताबिक कल्याण सिंह ने एक बार फिर बीजेपी से जुड़ने की इच्छा जताई है। उन्होंने कहा है कि बीजेपी के अलावा किसी भी दल में इतनी ताकत नहीं है कि वह मंदिर बना सके। मैं मरने से पहले मंदिर बनते देखना चाहता हूं।

बुधवार, 28 अक्तूबर 2009

भाजपा को राम बचाये


कुछ भी कहने, सुनने से पहले इन खबरों पर गौर करे ।

भागवत की सलाह को राजनाथ ने पागल का सुझाव कहा

बयानबाजी का सिलसिला महाराष्ट्र, हरियाणा और अरुणाचल विधानसभा नतीजे आने के बाद शुरू हुआ। सबसे पहले शत्रुघ्न सिन्हा ने पार्टी को सर्जरी की जरूरत बताई। फिर मंगलवार को आरएसएस के मुखिया मोहन भागवत ने कीमोथेरेपी का सुझाव दे डाला। मुरली मनोहर जोशी ने पार्टी को बीमार बता दिया लेकिन आखिर में राजनाथ ने सबको चुप करा दिया। उन्होंने पलटवार करते हुए कहा कि यह ऐसे आदमी की टिप्पणी है जिसके दिमाग ने काम करना बंद कर दिया है। संघ प्रमुख मोहन भागवत की कड़ी टिप्पणी ने राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ और बीजेपी के मधुर रिश्तों में खटास पैदा कर दी है। भागवत ने कहा था, 'जहां तक बीजेपी की बात है तो जो भी ऑपरेशन, दवा, कीमोथेरेपी उनके लिए जो जरूरी है उसकी पहचान पार्टी खुद करेगी। राजनाथ इस टिप्पणी पर बुरी तरह उखड़ गए। उन्होंने कहा कि लोकसभा चुनाव में शिकस्त के बाद पार्टी को ऐसी सलाह निश्चित तौर पर कोई ऐसा आदमी ही दे सकता है, जिसका दिमाग ठिकाने पर नहीं है।

बीजेपी नेता ने आडवाणी की तुलना सड़े अचार से की

बीजेपी में विपक्ष के नेता लाल कृष्ण आडवाणी के खिलाफ चल रही मुहिम थमने का नाम नहीं ले रही है। एक-एक कर कई नेता उनके खिलाफ बयानबाजी कर चुके हैं। नया नाम है गोवा के पूर्व सीएम मनोहर पारिकर का। परिकर ने कहा है कि अचार का स्वाद तब अच्छा होता है जब उसे एक साल के लिए रखा जाता है, लेकिन उसे रखे-रखे अगर दो साल से ज्यादा हो जाएं तो वह सड़ जाता है और उसका स्वाद खराब हो जाता है। फिर उन्होंने सचिन तेंडुलकर का जिक्र करते हुए कहा कि भले ही वह कितनी भी सेंचुरी बना लें, लेकिन कभी न कभी तो उन्हें रुकना ही है। आडवाणी का भी कुछ ऐसा ही हाल है। उनका वक्त अब खत्म हो चुका है।

कांग्रेस की चुटकी, भाजपा कैंसर ग्रस्त है तो उसका इलाज ह

मुख्य विपक्षी दल भारतीय जनता पार्टी यदि कैंसर से ग्रस्त है तो देश हित में उसके व्यापक इलाज की जरुरत है। यह टिप्पणी आज कांग्रेस प्रवक्ता अभिषेक सिंघवी ने भाजपा के संबंध में राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ प्रमुख मोहन भागवत के कथन पर की।
मीडिया रिपोटरे के अनुसार श्री भागवत ने कल जयपुर में भाजपा की मौजूदा हालात पर कहा था कि उसे अपना इलाज खुद करना है। भाजपा को ही तय करना है कि उसे सर्जरी चाहिए। कीमोथैरेपी चाहिए या मेडिसन। इस कथन की ओर ध्यान दिलाये जाने पर श्री ¨सघवी ने यहां संवाददाताओं से कहा कि रिमोट कंट्रोल से भाजपा को चलाने वाले जब उसे कैंसर से ग्रस्त कह रहे हैं तो उसका इलाज होना चाहिए। उन्होंने चुटकी ली कि मुख्य विपक्षी दल यदि कैंसर ग्रस्त हो तो वातावरण प्रदूषित होगा। अत. बीमार को अलग करके उसका व्यापक इलाज किया जाना चाहिए।

[ इन खबरों के बाद कुछ बताने को सेश नही रह गया है । बीजेपी आपसी मर कट में उलझी है और कांग्रेस कोडे बरसा रही है । नतीजा क्या होगा , बताने की जरुरत नही है।]

सोमवार, 5 अक्तूबर 2009

यह कैसी भक्ति

दशहरा समाप्त हो गया और आने वाले दीपावली है। हिंदू समाज का सबसे बड़ा पर्व दीपावली है, दीपावली के लिए अब चारों ओर तैयारियां जोरों से आरंभ हो गई है। अपने-अपने घरों को चमकाने के पीछे लोगों का यह तर्क रहता है कि माता लक्ष्मी का घर में सदैव के लिए वास हो और वे धन-धान्य से घर को भर दें। शहरवासी अपने घर में रंग-रोगन तो अनिवार्य रूप से करते तो हैं । इसके साथ पूरे घर की साफ-सफाई भी इसी दौरान करते हैं। घर के सारे खराब सामान को बाहर फेंक उसके स्थान पर नया सामान लाया जाता है। इसी क्रम में रखे मेज के कपड़ों के अलावा दीवारों में लगे पोस्टरों को भी कूड़ा दान में फेंक दिया जाता है। घरों में भगवान की पोस्टर व पूजन स्थल के कपड़े होते है जिन्हें इस साफ-सफाई के दौरान कूड़ो में फेंक दिया जाता है। ऐसे में लोगों की आस्था पर खुद ब खुद सवाल उठ खड़े होते हैं कि वे एक देवी के स्वागत के लिए जहां अपने घर को नया बनाने की होड़ में लगे रहते हैं तो वहीं दूसरी ओर घर में पुराने हो चुके देवी-देवताओं के पोस्टर कचड़े के ढेर में फंेक रहे है।
इन कचरे के पास मवेशी अपना गोबर करते हैं, ऐसी जगहों पर हिंदू धर्म के देवी-देवताओं के प्रतिमूर्ति व वस्त्र पड़े रहना शहरवासियों की श्रद्धा को बता रहे हैं। ऐसी नहीं कि लोगों को इस बारे में जानकारी नहीं हैं पर वे इन्हें रद्दी व बेकार का सामान मानकर अन्य कबाड़ वस्तुओं की श्रेणी में ही गिनते हैं। बहुत कम लोग ऐसे हैं जो अपनी श्रद्धा का परिचय देते हैं और इन दैवीय वस्तुओं को पूरे भक्ति-भाव से विसर्जन करते हैं। धर्म व त्यौहारों के नाम भगवान की वस्तुओं क ो इधर-उधर फेंकने के इस कृत्य पर महर्षी स्कूल के वाईस प्रिंसपल अश्विनी सिंह कहते हैं कि देव का नाम तक पूजनीय होता है ऐसे में उनके पोस्टर व वस्त्रों के साथ इस प्रकार कृत्य वास्तव में हमारी संस्कृति व हमारी आस्था को कलंकित करता है।
< < यह रिपोर्ट मेरे द्वारा नही लिखी गई है । इसे मैंने दैनिक भास्कर से लिया है । इस अखबार की यह रिपोर्ट हमे सोचने को मजबूर करती है की हम क्या कर रहे है । रिपोर्ट के लिए दैनिक भास्कर को पुनः एक बार और धन्यवाद > >
बिग हिंदू

शनिवार, 26 सितंबर 2009

पटना में दुर्गा पूजा का रंग
















विजयादशमी की सुभकामनाए

बिग हिंदू के सुभचिंतको और पाठको का हिन्दुओ के विराट पर्व विजयादशमी और दुर्गापूजा की सुभकामनाए । इस पावन अवसर पर हम हिंदुत्व और हिन्दुओ की रक्षा का संकल्प ले , तभी इस भारत माता का कल्याण होगा । हिन्दुओ की आन्तरिक सकती जगे ; इसी कामना के साथ एक बार पुनः सुभकामनाए
जय श्री राम
वंदे मातरम
भारत माता की जय

सोमवार, 14 सितंबर 2009

...यह करे बीजेपी-4

भाजपा जनता से कटती जा रही है । यो कहे की एसी कमरों में बैठ कर और टीवी स्टूडियो में थेतरलोजी कर देश को दिशा देने का दावा करनेवाली भाजपा नेताओ की मण्डली उसे जनता से दूर करती जा रही है । अरुण जेटली , सुषमा स्वराज, राजनाथ सिंह , वैंकया नायडू ख़ुद बिना किसी सहयोग के चुनाव नही जीत सकते है , लेकिन " ब्लंडर लैंड " की दास्ताँ देखे , ये टिकेट बाटनेवालो की जमात में सामिल है । ऐसा कर कोई कैसे जीत की उम्मीद कर सकता है । एसी कमरों और टीवी स्टूडियो की थेतरलोजी देख कर जनता पक चुकी है । बिना जनता से जोड़े भाजपा अपने कल्याण की सो़च भी नही सकती है ।

शनिवार, 12 सितंबर 2009

भाजपा का हाल कार्टून की नज़र में











सभी कार्टून साभार है

तो यह करे बीजेपी-3

पिछले १० वर्षो में बीजेपी ने अपने से वैसे कार्यकर्ताओ और नेताओ को दूर किया है , जिनकी एक हुंकार से जनता खिची चली आती थी । ऐसे नेताओ में कल्याण सिंह, उमा भरती, साध्वी ऋतंभरा, गोविन्दाचार्य आदि नेता शामिल है । अयौध्या आन्दोलन में कोई कितनी भी अपनी पीठ ठोके , पर अगर कल्याण न होते तो मुह के शेर कुछ भी नही कर सकते थे । इसी प्रकार भाजपा ने मुरली मनोहर जोशी , साहिब सिंह वर्मा जैसे समर्पित नेताओ को किनारे लगाया । इन कुकर्मो में बीजेपी के कौन-कौन नेता शामिल थे , अब शायद बताने की जरुरत नही है । टीवी ब्रांड और प्रादेशिक नेता वैंकया नायडू , राजनाथ सिंह , अरुण जेटली, कलराज मिश्रा , राजीव रूडी , सुशील कुमार मोदी आदि से भाजपा को कुछ भी फ़ायदा नही हुआ है । चाल, चरित्र और चिंतन की बात करने वाली पार्टी में आवारा और वाहियात नेताओ का कब्जा हो गया है । जनता की ओर से मसेज साफ है या तो लिफाफाबाजो को किनारा करो या फिर गर्त में मिलने को टायर हो जाओ । भाजपा नेताओ को आगे बढाये न की जुबान की खेती करनेवालों को ।

सोमवार, 31 अगस्त 2009

...तो यह करे बीजेपी-2

भाजपा की वर्तमान दशा का कारण है मुद्दों से भटकना । अब भाजपा के टीवी ब्रांड नेता यह मानते है की राम मन्दिर चूका हुआ मुद्दा है । इस लिहाज से वो भी वैसी ही बातें करते है , जैसी कांग्रेस के नेता करते है । इसके आलावा सेकुलर बनने की कोसिस में ऐसे नेता राम मन्दिर के मिसन को तिलांजली दे चुके है । राम मन्दिर जैसे पवित्र मिसन को ऐसे नेताओ की जमात ने मजाक बना दिया , जिसका फल यह रहा की जनता ने बीजेपी का जनाजा जुलुस निकाल दिया । भले ही कोल्लेशन पॉलिटिक्स में राम मन्दिर मुद्दे को स्तगित किया गया था , किंतु याद करे -यह मुद्दा सिद्दत के साथ जन - जन के दिल में था । भाजपा राम को छोड़ कर देख चुकी है की क्या होता है । ऐसे में राम की सरन में उसे जाने की जरुरत है । राम मन्दिर भारत की मांग है , अगर भाजपा लोगो को यह विस्वास दिलाने में कामयाब हो जाए की मन्दिर वही बना सकती है, तो उसका उत्थान तय है। बीजेपी शुन्य से सुरु करे और यह मेमो जारी करे की जो भी मन्दिर के विरोधी है बहार चले जाए । एक मिसन उसे फिर वही मुकाम दिला सकता है । भाजपा अगला काम यह करे की मन्दिर विरोधियो को पार्टी से बहार करे ।

....तो यह करे बीजेपी-1

इसमे कोई दो राय नही है की बीजेपी भयानक संकट से गुजर रही है । अगर इसके टुकड़े हुए तो इसका हाल जनता पार्टी जैसा हो जाएगा । बीजेपी में हंगामे की मूल बजह है इसके दुसरे -तीसरे दर्जे के नेताओ , जिनका कोई जनाधार नही है , की बयानबाजी । राजनाथ सिंह , सुषमा स्वराज , वैंकय्या नायडू , मुख्तार अब्बास नकवी जैसे नेताओ की नकेल कसे बिना भाजपा का कोई कल्याण नही हो सकता है । इस बीमारी का एक इलाज है की भाजपा द्वारा अपनी बात कहने के लिए एक आदमी तय किया जाए । उस आदमी के बाद कोई अपनी बात कहे तो उसे पार्टी से बहार का रास्ता दिखाया जाना चाहिये ।

रविवार, 30 अगस्त 2009

क्या हुआ भाजपा को

देश की राजनीती में बीजेपी के बारे में कहा जाता था की चाल, चरित्र और चिंतन की यह पार्टी है । येही वो पार्टी थी जिसके बारे में जनता को विस्वास था की वोट बैंक की राजनीती के दौर में यह हिंदू और हिंदुत्व की लौ जलाये रखेगी । पर अफ़सोस की आज इसके नेता गैंग वार में एक दुसरे को निबटाने में लगे है । जिन्ना की बेकार की बहस में पार्टी अपनी ताकत कुछ ऐसे जाया कर रही है, जैसे बंदर खजूर के पेड़ पर चढ़ने में करता है । देश राम मन्दिर, आतंकबाद , बांग्लादेसी घुसपैठी पर जानना चाहता है की वो क्या कर रही है । भाजपा का हर छोटा -बड़ा नेता ख़ुद को पार्टी से बड़ा बताने में लगा है , येही हाल रहा तो संघ को इसे -भाजपा -को बचाने के लिए आगे आना होगा । दरअसल , बीजेपी मुद्दों से भटक गई है और कांग्रेस की कार्बन कॉपी बनने में अपनी कमाई गला रही है । बीजेपी तभी जिन्दा होगी जब संघ इसे राम मन्दिर सा टास्क देगा । क्या संघ देश की जनता की बात सुन रहा है अगर बीजेपी से जसवंत , सौरी , अडवाणी , मोदी , यसवंत , खंडूडी जैसे नेता निकाल दिए जायेगे तो इसमे बचेगा क्या । अब एक ही उपाय है -संघ श्री राम का नारा लगाये और कहे की जिन्हें यह पसंद नही है , वो बहार चले जाए -विस्वास मानिये भाजपा २ से ३०२ पहुच जायेगी ।

मंगलवार, 18 अगस्त 2009

जसवंत की जिन्ना जयकार

जसवंत सिंह ने जिन्ना की जय कार कर एक बार फिर साबित कर दिया है की वे भी तुस्टीकरण की राजनीती में विस्वास रखते है । इस देश के नेता वोट के लिए देश को कहा ले जाकर छोडेगे , बताना मुस्किल है । जिन्ना को भाजपा नेताओ द्वारा बार-बार परिभाषित करने की कोसिस येही साबित करती है की अब उसे हिन्दुओ पर येकिन नही रह गया है।

सोमवार, 17 अगस्त 2009

६२ वर्ष में हिन्दुओ ने क्या खोया

१५ अगस्त , २००९ को भारत ने अपनी आज़ादी के ६२ वर्ष पुरे कर लिए। मौके पर समीक्षा की जा रही है की देश ने अब तक क्या हासिल किया। मै यह मानता हूँ की हिन्दुओ ने इन वर्षो में क्या खोया-क्या पाया इसकी समीक्षा होनी चाहिये ।

सोमवार, 3 अगस्त 2009

कांग्रेस कंपनी बताये - कहा है हिंदू आतंकबाद

सच केवल सच होता है । उसे दबाया, जुठ्लाया तो जा सकता है पर रोका नही जा सकता । मुंबई की अदालत ने साध्वी प्रज्ञा सिंग ठाकुर और कर्नल पुरोहित से मकोका हटाने को कहा है । इसके बाद अब यह साफ हो जाना चाहिये की कांग्रेस और उसके सहयोगी हिंदू आतंकबाद का झुटा परचार कर रहे थे । भारत में केवल और केवल इस्लामी आतंकबाद है जिसका करता धरता पाकिस्तान है । इस आतंकबाद का एकमात्र उद्देश भारत को टुकडो में बाटना है । इस्लामी आतंकबाद के प्रति कांग्रेस की हमदर्दी देश को डूबा देगी ।

शनिवार, 27 जून 2009

विनाश की ऑर भाजपा


भाजपा लोकसभा चुनावो के बाद सुन्यता से भर गई है । उसका हर नेता महान बनने की कोसिस में जुटा है । आश्चर्य की बात यह है की पार्टी के नेता कुर्सी के मोह में नरक तक डूब गए है । लिफाफबाजो की हर गलती ऐसे माफ़ की जा रही है , जैसे इन्ही लोगो ने पार्टी को २ से १८२ तक पहुचाया था । भाजपा आम जनता से कट चुकी है और कांगेस की कार्बन कॉपी बनती जा रही है ।

सोमवार, 1 जून 2009

शुक्रवार, 29 मई 2009

" भाजपा की हार के लिए मोदी कैसे दोषी "


१५ वी लोकसभा के चुनावो में भाजपा की हार के बाद पत्रकारों के एक वर्ग के साथ भाजपा के वैसे नेताओ का समूह मोदी को दोषी बता रहा है , जो नगर निकाय का चुनाव नही जीत सकते है । यह सच है की मोदी भाजपा के स्टार पर्चारक थे , मगर इसका यह मतलब नही है है की उनका परचार जीत की गारंटी थी । आज तक देश में कोई ऐसा नेता नही हुआ है , जिसके परचार मात्र से ही चुनाव जीता जा सके । स्वयं अटल बिहारी बाजपाई में भी ऐसी काबलियत नही थी । भाजपा अगर हारी है तो इसका कारन यह है की अडवाणी शुरू से अंत तक यह तय नही थे की उन्हें क्या करना है । इसके आलावा भाजपा की रणनीति एसी कमरों में बनती रही , जिससे कार्यकर्ता सक्रिय नही हुए । किसी को दोस देने के वजाय भाजपा को आत्ममंथन करना चाहिये ।

मंगलवार, 26 मई 2009

आतंकबाद पर क्या करेंगे चितंबरम


बहुत कम लोगो को यह मालूम है की हमारे नए होम मिनिस्टर पी चितंबरम आतंकबाद के मसले पर कदा रुख रखते है । " टाडा" उन्ही के दिमाग की उपज थी । मुंबई हमलो के बाद बना कड़ा कानून उन्ही के दिमाग की चीज़ थी । इन सभी बातो के बाद मसला वोही का वोही है । क्या कांग्रेस आतंकबाद के मामले के प्रति गंभीर है । जब तक कांग्रेस नही चाहेगी इस मसले पर कुछ नही हो सकता है । कांग्रेस आतंकबाद के मामले पर क्या करेगी , उसे देश को बताना चाहिये ।

शुक्रवार, 22 मई 2009

मनमोहन जी आपका स्वागत है पर ...

मनमोहन सिंह ने दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र की दोवारा कमान संभाली है । इस मौके पर बिग हिंदू उन्हें कुछ याद दिलाना चाहता है ।
१ अमरनाथ आन्दोलन के प्रति कांग्रेस सरकार के रवैया याद करे
2 राम सेतु का मजाक बनाया जाना याद करे
३ सावरकर की नाम की पट्टी हटाये जाने को याद करे
४ आतंकबाद के प्रति कांग्रेस का रवैया याद करे
५ कांगेस की तुस्टीकरण की नीतियो को याद करे
६ हिंदू आतंकबाद की झूठी बात याद रखे
७ देश में होनेवाले बम धमाको और सरकार की करवाई को याद रखे ।
आशा है बहुमत के प्रधानमंत्री इसका ध्यान रखेंगे । आपका एक बार फिर स्वागत ।

गुरुवार, 21 मई 2009

राहुल गाँधी गृह मंत्री बने, या चुप रहे


देश की जनता ने इस बार कांग्रेस को रिकॉर्ड तोड़ बहुमत दिया है । जाहिर -सी बात है की यह समर्थन कांग्रेस की विकासपरक नीतियो के कारन मिला है । कहा जा रहा है की कांग्रेस को युवाओ का वोट खूब मिला है । पार्टी यह मान कर चल रही है की यह सब राहुल की आभामंडल का परिणाम है । अगर ऐसा है तो राहुल गाँधी को गृह मंत्री बन कर देश की स्तिथि से रु रु होना चाहिये । जबकि राहुल संकेत दे रहे है की मंत्री पद अभी नही । राहुल अपनी सभाओ में ऐसे बोलते है मनो देश की सबसे जायदा चिंता उन्ही को है , पर जिम्मेदारी की बात आते ही वे पीछे हटने लगते है । या तो राहुल गृह मंत्री बन देश को उबारे या चुप रहे । ऐसी सेकुलर देशभक्ति किस काम की ।

बुधवार, 20 मई 2009

... क्योंकि मोदी के खानदान में कोई प्रधानमंत्री नही है

१५ वी लोकसभा चुनावो के परिणाम आते ही मीडिया ने राहुल गुणगान सुरु कर दिया । कहा जाने लगा की राहुल बाबा जहा-जहा गए उनमे अधिकतर जगह जीत हासिल हुई , वही नरेन्द्र मोदी जहा -जहा गए भाजपा को हार मिली । मै कहता हूँ की ऐसा कहनेवाले चमचागिरी कर रहे है । कांगेरेस को जीत उसकी नीतियो की वजह से मिली है न की राहुल की । ऐसा होता तो यूपी की सभी सीटे सहित ५४३ सीटे कांग्रेस के पास होती । कांग्रेस १५० का आकडा बस इस लिए पर कर पाई क्योंकि वेस्ट बंगाल और साउथ इंडिया में उसे भारी सफलता मिली । मै क्या पुरा देश यह जानना चाहता हूँ की राहुल ने वेस्ट बंगाल और साउथ इंडिया में कितने महीने मेहनत की और उन इलाको में वे कितने दिन रहे । राहुल की सभाओ में लोग इस लिए आते है की उनके पुरखे भारत के प्रधानमंत्री रह चुके है। लोग उनमे राजीव गाँधी देखने आते है, जबकि नरेन्द्र मोदी की सभा में जानेवाला हिंदुत्व के रक्षक को देखने जाता है ।

सोमवार, 11 मई 2009

ऐसे तो भाड़ में चला जाएगा देश


रविवार को पंजाब में राजग की रैली हुई । रैली में तमाम नेता जुटे । बिहार के सीएम नीतिश कुमार और गुजरात के सीएम नरेन्द्र मोदी भी इसमे एक मंच पर आए । यहाँ तक सब ठीक था । दोनों नेताओ ने हाथ मिलाया , इसके बाद हंगामा होने लगा । लालू ने कहा की नीतिश ने मोदी से हाथ मिला लिया । नीतिश ने बिहार आ कर कहा की मैंने कहा हाथ मिलाया , वो तो मोदी ने हाथ पकड़ लिया था । कांग्रेस भी लालू की बोली बोलने लगी । ऐसा ड्रामा होने लगा मानो मोदी २००० वर्ष पुराने दलित हो । खैर विपक्ष का काम अलो़चना करना होता है पर सबसे बुरी बात यह रही की नीतिश भी सेकुलर कफ़न ओढ़ने की कोसिस में सफाई देते नज़र आए । अगर नीतिश सेकुलर है तो क्यों नही भाजपा का साथ छोड़ देते है । एक हिंदू हित की बात कहनेवाले से इतनी नफरत , वो भी ८० परसेंट हिंदू आबादी वाले देश में ! ऐसे में तो देश भाड़ में चला जाएगा , यह तय मान लेना चाहिये ।

बुधवार, 29 अप्रैल 2009

क्या मोदी बीमारी है

सोते मोदी , जागते मोदी । हर भासन में मोदी । क्या मोदी बीमारी बन गए है भारत के लोक तंत्र के लिए । क्या मोदी से भारत के नेता इतने डर गए है की उनकी हर बात मोदी से शुरू हो कर मोदी पर ही ख़त्म हो रही है । लालू , मुलायम , पासवान जैसे कई नेता इसके उदहारण है । हद तो यह है की कोर्ट भी मोदी फोबिया से ग्रस्त है

शनिवार, 25 अप्रैल 2009

अगली बारी मोदी तुम्हारी

अब जबकि भाजपा ने मान लिया है की पार्टी में अडवाणी के बाद नरेन्द्र भाई मोदी देश के परधानमंत्री पद के मजबूत उम्मीदवार है , यह कहा जा सकता की मेहनत का फल उन्हें मिल गया है । उन्हें उस मेहनत का फल मिला , जो उन्होंने हिंदुत्व की रक्षा में लगाई थी । गुजरात को विकास के मामले में जिस तरह से उन्होंने सबसे ऊपर पहुचाया उसके कारन देश के टॉप उद्दोगपति पहले ही उनका समर्थन कर चुके है । सबसे बड़ी बात यह है की मोदी सच को सच कहते है , जो भारत का कोई नेता नही कहता है । विरोधी कहते है की मोदी ने गुजरात में दंगे कराये , मै उनसे पूछता हूँ की अगर मोदी दोसी है तो उनकी लोकप्रियता का ग्राफ क्यों बढ़ता जा रहा है । गुजरात के दंगे मोदी ने नही बल्कि गोधरा में रामसेवाको को मुस्लिमो द्वारा जिन्दा जलने की घटना ने कराये थे । जिसने भी इस सचाई को मन आज वो मोदी जी का फेन है । बहरहाल मोदी को उत्तराधिकारी घोषित किया जाना एक क्रन्तिकारी कदम है । मोदी जहा भी है , उन्हें बधाई ।

गुरुवार, 23 अप्रैल 2009

बधाई हो वरुण स्टार बन गए


वरुण गाँधी को भाजपा ने अपना नया स्टार मान लिया है । अब पार्टी उन्हें यूपी के चुनाव परचार में भेजेगी । हिन्दुओ के पक्ष में बात कहने पर जिस तरह से उनको निशाना बनाया गया , यह उसी दिन तय हो गया था की वरुण का नया राजनितिक जीवन शुरू होगा । वरुण हिंदुत्व के नए सितारा है । उनसे देश को उम्मीद है की वो हिंदुत्व को नई दिशा और पहचान देंगे । यूपी में भाजपा को वरुण जैसे युवाओ की सख्त जरुरत है । जरुरत इस लिहाज से है की नरेन्द्र मोदी के बाद कोई बड़ा नेता नही दिख रहा है , जो हिन्दुओ और हिंदुत्व की रक्षा में आगे आए ,

बुधवार, 22 अप्रैल 2009

आतंकबाद का विरोध करनेवालों को ही वोट दे

मुझसे एक पत्रकार मित्र ने पूछा की इन लोक सभा चुनावो में सबसे बड़ा मुद्दा क्या है , तो मैंने कहा की निश्चित रूप से आतंकबाद । उसने कहा की आप ये कैसे कह रहे है । मैंने जवाब दिया की यह मुद्दा रोजी-रोटी से भी बढ़ कर है , पिछले दो वरसों में देश ने मुंबई सहित कई आतंकबादी घटनाय देखी है -जब देश वेवश दिखा है । रही - सही कसर तालिबान की बढती सकती ने पुरी कर दी है । आज भारत में आपको थोडी सी मेहनत से रोटी, कपड़ा , मकान (किराये का ही सही ) मिलने की गारंटी है । लेकिन आपकी जान ट्रेन से लेकर किसी बाज़ार में हुए बम बिस्फोट में कब चली जायेगी , यह कोई नही बता सकता है । लोग डर के माहौल में जी रहे है । लिहाजा आतंकबाद बड़ा मुद्दा है ही ।

रविवार, 19 अप्रैल 2009

चुनावो के समय बाबरी का भूत


लोक सभा चुनावो के समय बाबरी का भूत एक बार फिर बहार आ गया है । इस बार मुस्लिम वोटो के लिए लालू यादव ने मुह खोला है । उनका कहना है की कांग्रेस ने बाबरी मस्जिद को बचाने के लिए कुछ भी नही किया था , इसलिए वो बाबरी विदवंस की दोसी है । जाहिर है लालू का यह नया पैतरा मुसलमानों का सबसे बड़ा हितैसी बनने / दिखाने के लिए दी गई है । बिहार के मुस्लमान लालू का साथ छोड़ चुके है , जिससे उनमे गुस्सा है । पियम मनमोहन सिंह कह रहे है की अडवाणी कमजोर है , बाबरी विदवंस के दिन डर से वो रो रहे थे । कांग्रेस मुलायम से पूछ रही है की मौलाना मुलायम और भगवा कल्याण एक साथ कैसे रह रहे है ।

इन सब के बिच कोई दल यह कहने का साहस नही दिखा पा रहा है की कथित बाबरी मस्जिद कभी राम मन्दिर थी जिसे मुसलमानों ने तोड़ दिया था । कोई यह बताने को तैयार नही है की की राम मन्दिर कब तक बनेगा । देश की ८० परसेंट हिंदू जनता को कब सम्मान मिलेगा । मुस्लमान यह जान ले की बाबरी और भाजपा का डर दिखा कर उनसे केवल वोट लिया जाता है । एक बार वे मन्दिर बनवाने को सहमत हो जाए तो मुसलमानों के नाम पर चलनेवाली हजारो दुकाने बंद हो जायेगी । ऐसे में मुस्लमान सोचे की उन्हें दुकानदारी के नाम पर सोसन चाहिये या एक बेहतर भविष्य ।

गुरुवार, 16 अप्रैल 2009

वरुण का जेल से बहार निकलना



गुरुवार की साम कोर्ट के आदेश के बाद वरुण को जेल से बाहर निकलने का मौका मिल गया । वरुण के बाहर निकलने के समय जुटी भीड़ ने यह संकेत दे दिया है की उत्तर प्रदेश में वरुण भाजपा के भविष्य हो सकते है । कोर्ट के फैसले से यह साफ हो गया है की मायावती ने राजनीती के तहत वरुण पर रासुका लगाया थाइस मामले में लालू यादव का यह कहना की मैंने वरुण पर जो बयान दिया था , उसका मुझे दुःख नही है। ज़ाहिर है लालू मुस्लिम वोटो के लिए हर सीमा क्रॉस कर रहे है , लिहाजा रासुका लालू पर लगना चाहिये। भाजपा को वरुण के रूप में नया मोदी गुजरात वाला नरेन्द्र मोदी मिला है (बिहार वाला सुसील कुमार मोदी नही ) । सो उत्तर प्रदेश में अपनी खोई ताकत बापस पाने के लिए भाजपा को वरुण के हटो को मजबूत करना चाहिये ।


मंगलवार, 14 अप्रैल 2009

नीतिश कुमार की सेकुलर कफ़न ओढ़ने की कोशिस

एक टीवी चैनल के पत्रकार ने बिहार के मुख्यमंत्री नीतिश कुमार से पूछा की बिहार में चुनाव परचार में नरेन्द्र मोदी को क्यों नही बुलाया जा रहा, जबकि वे भाजपा के स्टार परचारक है । नीतिश ने कहा की बिहार में मोदी की जरुरत नही है । नीतिश की जरुरत क्यों नही है , यह बताने के बजाय नीतिश ने कहा की बिहार भाजपा के लोग सक्षम है । यह जानी हुई बात है की नरेन्द्र मोदी को नीतिश देखना नही चाहते है । विधानसभा चुनाव के समय भी नीतिश की मर्ज़ी पर मोदी का प्रोग्राम कैंसल कर दिया गया था । नीतिश को यह खुल कर बताना चाहिये की नरेन्द्र मोदी से उनको दिक्कत क्या है । नीतिश विकास -विकास गला फाड़ कर चिल्ला रहे है , पर मोदी के विकास के आगे उनकी उपलब्धि १० परसेंट ही है । मोदी देश के बेस्ट सीएम है तो नीतिश सेकुलर कम्बल ओढ़ कर राज करनेवाले सेकुलर नेता । मै ऐसा इस लिए कह रहा हूँ की बिहार में नीतिश की पार्टी की अकेले की सत्ता नही है , यहाँ वो भाजपा के सहयोग से सासन कर रहे है । लादेन के फोटोकॉपी गुलाम रसूल बल्यावी को नीतिश ने सेकुलर फितूर में ही अपनी पार्टी में सामिल कराया । कोसी की बाढ़ के समय भी राज्य सरकार ने मुसलमानों पर कुछ जायदा ही मेहरबानी दिखाई थी । यह सब कर के नीतिश यह सोचते है की लोक सभा चुनाव में जायदा सीटे पाने में कामयाब रहेंगे तो उनका सोचना ग़लत है क्योंकि १९९९ के लोक सभा चुनाव में इन ताम-झाम के बिना जेडीयू को यहाँ की जनता ने वाजपेयी के नाम् पर उम्मीद से जायदा सीटे दी थी । शर्म की बात यह है की बिहार में विकाश मुद्दा बनने के बाद तुस्टीकरण और मुस्लिम वोट की राजनीती फिर शरू हो गई है ।

मंगलवार, 7 अप्रैल 2009

शर्मनाक : लालू रोलर चलवायेगे वरुण पर


बिहार के किसनगंज लोक सभा सीट के लिए चुनाव परचार करने गए लालू यादव सभा में हजारो मुसलमानों को देख कर पागल हो गए और लगे हाथ घोसना कर दी की पीलीभीत में हिन्दुओ के समर्थन में बयान देनेवाले वरुण गाँधी पर वे रोलर चलवा देते । ज़ाहिर है ऐसा कर लालू ने मुसलमानों को यह जताने की कोसिस की कि केवल वे ही मुसलमानों के हित में सोचते है ।
पीलीभीत से भाजपा के उम्मीदवार वरुण गाँधी ने एक चुनावी सभा में कहा था की कसम गीता की हिन्दुओ की तरफ बढ़नेवाले ग़लत हाथ को काट कर रख दूंगा । उनका इतना कहना था की हंगामा मच गया । कांग्रेस सहित देश के सेकुलर कहे जानेवाले लोग विधवा विलाप करने लगे । अब जब लालू ने राजनितिक नंगई कि सीमा पार कर दी है , देश कि जनता को यह तय करना चाहिये कि रोलर वरुण पार चलना चाहिये या फिर लालू पर । वरुण ने हिन्दुओ के हित कि बात कही थी , अगर हिन्दुओ के विरोध में मुसलमानों के हाथ उठते है तो इसमे वरुण कि गलती नही है । देश के वोटरों के पास बेहतर मौका है कि वे मुस्लिम वोट कि राजनीती कर के देश को बर्बादी कि ओर ले जानेवाले लालू , मुलायम जैसे नेताओ को रेस से ही बाहर कर दे ।

सोमवार, 30 मार्च 2009

वरुण को उत्तर प्रदेश के सीएम प्रोजेक्ट करे भाजपा

एक समय था जब गुजरात में भाजपा ख़त्म होती जा रही थी । गुटबाजी के कारन पार्टी अलोकप्रिये होती जा रही थी । उस समय भाजपा ने नरेन्द्र मोदी पर दाव खेला और पार्टी वहा जीवित हो गई । वरुण गाँधी में भी मोदी की झलक दिखती है । वो भी उत्तर प्रदेश में गुजरात वाला करिश्मा कर सकते है । क्योंकि सच को सच कहने वाला ही कुछ करने का माद्दा रखता है । अगर फायर ब्रांड वरुण को भाजपा आजमाती है तो वो गुजरात जैसा फ़ायदा में रहेगी ।

सोमवार, 23 मार्च 2009

वरुण ने क्या ग़लत कहा


पीलीभीत से भाजपा के उम्मीदवार वरुण गाँधी ने एक चुनावी सभा में कहा था की कसम गीता की हिन्दुओ की तरफ बढ़नेवाले ग़लत हाथ को काट कर रख दूंगा । उनका इतना कहना था की हंगामा मच गया । कांग्रेस सहित देश के सेकुलर कहे जानेवाले लोग विधवा विलाप करने लगे । चुनाव आयोग ने तो भाजपा को सलाह तक दे डाली की वो वरुण को टिकेट न दे । मै कहता हूँ की वरुण ने कुछ भी ग़लत नही कहा । आखिर आत्मरक्षा का अधिकार हिन्दुओ को नही है क्या । तो फिर वरुण कैसे ग़लत हो गए । वरुण को सही बात कहने के लिए शाबासी मिलनी चाहिये । शाबास वरुण गांधी ।

रविवार, 22 मार्च 2009

आप किसे चुनेगे

कुछ दिनों बाद लोक सभा के लिए वोट डाले जायेंगे । इसमे एक तरफ कांग्रेस है जो आतंकबाद की प्रतिमूर्ति है , तो दूसरी तरफ़ भाजपा है जो आतंकबाद से लड़ सकती है । आप किसे वोट करेंगे । वोट देने से पहले आप याद रखे की कांग्रेस खेमे के नेता सिमी को देशबक्त बताते है । बत्तला हाउस इन्कोउन्टर के आतंकबादी कांग्रेस को स्टुडेंट नज़र आते है । कांग्रेस के लिए पहले वोट बैंक है फिर देश । जबकि भाजपा के मामले में मै दावे के साथ कह सकता हूँ की ऐसा नही है ।

मंगलवार, 17 मार्च 2009

वोटरों के नाम अपील

अब २ महीनो में १५ वी लोक सभा के लिए वोट डाले जायेंगे । मतदाता नई सरकार चुनेगे । बिग हिंदू की मतदाताओ के नाम अपील है की आप वोट देने से पहले ------
१ अमरनाथ आन्दोलन के प्रति कांग्रेस सरकार के रवैया याद करे
२ राम सेतु का मजाक बनाया जाना याद करे
३ सावरकर की नाम की पट्टी हटाये जाने को याद करे
४ आतंकबाद के प्रति कांग्रेस का रवैया याद करे
५ कांगेस की तुस्टीकरण की नीतियो को याद करे
६ हिंदू आतंकबाद की झूठी बात याद रखे
७ देश में होनेवाले बम धमाको और सरकार की करवाई को याद रखे
इन सभी बातो को ध्यान में रखे और वैसे दल को वोट करे जो सच को सच कहने का साहस रखता हो । मेरे हिसाब से भाजपा इस मामले में सही है । आप क्या सोचते है ।

गुरुवार, 5 फ़रवरी 2009

भारत को हिंदू देश बनाये


भारत को सही मायनो में हिंदू देश बनाये । हिंदू धर्म नही दर्शन है । भारत की १०२ करोड़ आबादी का खून हिन्दुओ का ही खून है । यहाँ के मुस्लमान, इसाई सभी धर्मान्तरित हिंदू ही है । ऐसे में भारत को हिंदू देश बनाया जाना चाहिये ।

गुरुवार, 29 जनवरी 2009

इस्राइल की निंदा क्यों की

संघर्ष विराम ख़त्म होने के बाद इस्राइल ने फलिस्तीन के आतंकबादी कैम्पों पर हमला शुरू किया । इस घटना में करीब १००० आतंकबादी और उनके समर्थक मरे गए । देखा जाए तो यह घटना आतंकबाद के खिलाफ युद्ध थी , पर भारत सरकार ने इसकी निंदा कर दी । ये घटना बताती है की मुस्लिम वोट के लिए हमारे नेता कितना निचे गिर सकते है । इस्राइल हमारा स्वाभाविक सहयोगी है और वोह भी आतंकबाद झेल रहा है । ऐसे में हमे उसका साथ देना चाहिये न की विरोध करना चाहिये ।

पाकिस्तान पर करवाई के लिए अमेरिका का मुह क्यों ताके

इससे बड़ी शर्म की बात कुछ और नही हो सकती है की आ कर हमारे नागरिको की हत्या कर दे और हम करवाई करने के बजाये एक लिस्ट सौप कर यह कहे की आप हमे हमारे दुश्मनो को सौप दे । अमेरिका का मुह हम ऐसे ताकते है मनो हमारे नही बल्कि उनके नागरिको की हत्या हुई हो । मुंबई हमलो के बाद भारत में ऐसा ही हो रहा है । यह स्तिथि तब है , जब हम परमाणु देश होने का दावा करते है । सरकार यह कह रही है की युद्ध किसी समस्या का समाधान नही है , लेकिन समाधान तो यह भी नही है जो भारत सरकार २० वर्ष से कर रही है । भारत आतंकबाद को उसी दिन कुचल सकता है , जिस दिन हमारे नेता इस्राइल वाला कलेजा हासिल कर लेंगे ।

रविवार, 18 जनवरी 2009

मोदी को बनाओ परधानमंत्री


भारत के एक प्रमुख समाचारपत्र " हिंदुस्तान " में एक पोल का रिजल्ट दिया गया है , जिसमे कहा गया आम भारत के लोग कहते है की नरेन्द्र मोदी देश के अगले परधानमंत्री हो । मै कहता हूँ की भाजपा के कार्यकर्ताओ की भी येही राय है की मोदी ही देश की बागडोर संभाले । मोदी ने जो आतंकबाद विरोधी छवि बनाई है , वोह उनकी दावेदारी को और मजबूत करती है । मोदी वोट की राजनीती नही करते है , इसलिए वो सच को केवल सच कहते है । भाजपा में अडवाणी को क्यों मौका दिया जाए , इस पर बहस होनी चाहिये । अडवाणी ने मन्दिर, हिंदुत्व , तुस्टीकरण, अल्पसंख्यक मामलो में आज तक राजनीती ही की है । कभी पिचास " मो जिन्ना " उन्हें सेकुलर नजर आते है , तो कभी अयौध्या मामला भारी भूल । नाटकबाज नेताओ की जमात में मोदी ही सच को सच कहते है , सो परधानमंत्री पद पर उनका स्वाभाविक हक़ है । भाजपा को भी देश की आवाज़ पर ध्यान देना चाहिये । मामले का एक पक्ष यह भी है की वो विकाश को बढावा देते है । मैंने ८ सितम्बर , २००८ को अपने ब्लॉग के मध्यम से यह बात की थी ।

बुधवार, 7 जनवरी 2009

नेता बंद करे नाटक



मुंबई हमलो के बाद आतंकबादी देश पाकिस्तान पर करवाई करने के बजाय हमारे देश के तमाम नेता गाल बजाने में लगे है । रह - रह ये नेता देश में ऐसे तमासा करने लगते है मानो इस बार ६० साल की कसार निकल ली जायेगी , लेकिन जल्द ही वे एल्यूमिनियम के बर्तन की तरह ठंडे हो कर मंजाने के लिए जूठो के ढेर में रख लिए जाते है । अब यह तय हो चुका है की नेता लोग कुछ करनेवाले नही है । ऐसे में उन्हें देश को माफ़ कर देना चाहिये और लाल किला पर चढ़ कर देश से माफ़ी मंगनी चाहिये की हमे माफ़ कर दे हम वोट की राजनीती के कारन नपुंसक हो चुके है । हम पाकिस्तान के डर से सब कुछ दे सकते है , पर उसका कुछ भी नही बिगाड़ सकते है ।


बिग हिंदू कमेन्ट : हमारे देश के नेता हिजरो से भी गए गुजरे है ।

शुक्रवार, 2 जनवरी 2009

नए साल में बिग हिंदू की आशा

नए साल (हलाकि) भारत के पंचांग के अनुसार नया साल मार्च से शुरू होता है, में बिग हिंदू की आशा है की भारत विश्व की महा शक्ति बन कर उभरे। बिग हिंदू चाहता है की २००९ में हम आतंकबाद को अपनी धरती से मिटा दे । हमारे यहाँ वोट बैंक की गन्दी राजनीती बंद हो जाए । मुस्लिमो के नाम पर ठेकेदारी बंद हो जाए । बंगला देसी घुसपैठे रोक दी जाए । पाकिस्तान को सबक सिखाते हुए अपना कश्मीर बापस ले लिया जाए । पाकिस्तान से सभी सम्बन्ध तोड़ लिए जाए । मुस्लिम अयौध्या, काशी , मथुरा , धार को हिन्दुओ को सौप दे । आतंकबादी को फासी दी जाए और उनका समर्थन करनेवालों को वैसी ही सजा दी जाए । अयौध्या में शानदार राम मन्दिर बने और मुस्लिम उसमे तन । मन । धन से सहयोग करे । जय श्री राम । जय भारत