मंगलवार, 25 जनवरी 2011

...तो तिरंगा पाकिŸस्तान में फŸहराओगे

सबसे पहले ब्लो ग से तीन माह दूर रहने के लिए मुझे माफ करें. दरअसल , कुछ न टालने योग्य कारणों से मैं दैनिक पत्रकारिता से जुड़े होने के बावजूद कुछ नहीं लिख सका. खैर..अब मुद्दे की बात-सुना है तिरंगा को ले कर भारत में कुछ बवाl मचा है. मैं ऐसा इसलिए कह रहा हूं कि तिरंगा शायद भारत का ध्वज है और कुछ भाई लोग जो शायद जयचंद की चौगली औलाद की चौथी पीढ़ी हैं, वे कह रहे हैं यहां पाकिस्तानी झंडा फहरा दो कोई बात नहीं है, मगर तिरंगा नहीं फहराना है. तो भाई मैं इसलिए ही कह रहा हूं कि तिरंगा को ले कर भारत में बवाल मचा है क्‌योंकि मुझे महसूस होता है कि मैं पाकिस्तान या अफगानिस्तान में हूं. कहा जा रहा है कि कश्मीर के लाल चौक पर तिरंगा फहराने से देश में तनाव होगा. तो बंधु आप लोग बताएं कि देश में पाकिस्तानी झंडा फहराने से शांति आ जायेगी. भाई साहब यकीन मानिये देश का ऐसा हाल इतिहास में कभी नहीं था, तब भी नहीं जब बाबर के वंशज भारत पर काबिज हो रहे थे. अचरज भी हो रहा है कि देश का शीर्ष नेतृत्व भी देशद्रोहियों सी भाषा बोल रहा है. सेकुलरवाद की नाजायज औलाद , सात हरामियों की पैदाइश ऐसे नेता अपनी मां-बहन को सेकुलर रिजम के नाम पर पाकिस्तानियों को क्‌यों गिफ्‌ट नहीं कर दे रहे हैं. (भाषा में भटकाव के लिए क्षमाप्रार्थी हूं).