गुरुवार, 23 अक्तूबर 2008

राज ठाकरे महारास्ट्र के ठेकेदार कैसे

राज ठाकरे इन दिनों महारास्ट्र के ठेकेदार बने हुए है । वो कह रहे है की उनका हर काम महारास्ट्र के लिए है । बिहार और उत्तर परदेश के गरीब लोगो को निशाना बना वो साबित क्या करना चाहते है । उनके कारनामो से हिंदू बट रहे है । मै दंग हूँ की एक सड़क छाप आदमी स्वंभू ठेकेदार बना हुआ है । मै राज से पूछना चाहता हूँ की उन्होंने इस देश को क्या दिया है की वो ठेकेदारी कर रहे है । क्या उन्होंने भारतीय सेना में योगदान दिया है की वो फ्रोड सेना खोल कर सेना जैसे पवित्र सब्द का अपमान करने बैठ गए है । उनके नाम से कितनी महारास्ट्र में कितनी जमीन है की वो इसके मालिक बन गए है । भारत की छोडे महारास्ट्र में गुंडागर्दी और लाफ्फुआ गिरी करने के अलावा उन्होंने क्या किया है । राज हिन्दुओ और हिंदुत्व को नुकसान पहुचा रहे है । उनसे अच्छे लादेन और पाकिस्तानी आतंकबादी है जो अपने धर्म के लिए दुनिया से लड़ रहे है । भले ही वो ग़लत हो , पर अपने धर्म को वो नुकसान तो नही पहुचा रहे है । राज को उत्तर भारतीय तो नज़र आ रहे है , पर उनकी मोटी आँखों के सामने रहनेवाले बांग्लादेसी घुस्पैठेया नज़र नही आ रहे है । येही हाल रहा तो वे हिन्दुओ के इतिहास के दुसरे जयचंद कहे जायेंगे । मेरी राज को सलाह है की वो मुस्लमान बन जाए ताकि हिन्दुओ को दिल से यह सुकून रहे की हिंदुत्व का गद्दार उनके बिच का नही है ।

बुधवार, 22 अक्तूबर 2008

हिंदुत्व के दुसमन राज ठाकरे


हिंदुत्व के दुश्मनो में लालू यादव , राम विलास पासवान , अमर सिंह , मुलायम यादव के बाद राज ठाकरे का भी नाम जुट गया है । जिस तरह से उन्होंने उत्तर भारतियो को महारास्त्र में निशाना बनाया , वो शर्म नाक है । इससे उन्हें भले ही सत्ता मिल जाए , पर हिंदुत्व को नुकसान होगा , यह तय है । राज ठाकरे अगर भारत में घुस आए बंगला देसियो के खिलाफ अभियान चलाते तो पुरा देश उन्हें समर्थन करता , लेकिन अपने ही देशवासियो के साथ वो जो कर रहे है वो देशद्रोह है । राज ठाकरे १००००० देशद्रोहियो के बराबर है । जहा तक मई जनता हूँ की मुंबई के मीरा रोड , ठाणे , कुर्ला आदि में लाखो बांग्लादेसी है । राज की चोच उनके मामले में क्यूँ बंद है । अगर राज नही माने तो उन्हें एसे ही कुत्तो के साथ दिन बिताने पड़ सकते है । राज देश दुनिया की चिंता छोड़ कर कुत्तो के साथ खेले , येही उनको सूट करता है ।

शनिवार, 18 अक्तूबर 2008

मुसलमानों की बात

भारत में मुस्लमान वो नही करते जो करना चाहिये । मसलन,
१ भारत की खुसी में अपनी खुसी नही खोजते है ।
२ जनसँख्या और एजूकेशन जैसे मामलो में अलग राय रखते है
३ पाकिस्तान की जित पर पटाखे फोड़ते है ।
४ बेबजाह मुह फुलाये रखते है
५ वो ये सोचते है की उनके साथ बस इस लिए ग़लत हो रहा है की वो भारत में है ।
६ बंग्लादेसियो को सरन देते है ।

मुस्लिमो का चरित्र

भारत में मुस्लिमो का चरित्र एक बड़ा सवाल बना हुआ है । लोग कह रहे है की पुरी कॉम को संका की नज़र से देखा जा रहा है । लेकिन इसकी बजह क्या है किसी को बताने की जरुरत नही है । बार - बार मुस्लिमो पर सवाल बस इस लिए खड़ा होता है की न तो उन्हें कोई सुधार पसंद है न ही वो देश के विकाश में योगदान देना चाहते है ।

मंगलवार, 14 अक्तूबर 2008

क्या यह हो सकता है

कभी - कभी मै यह सोचता हु की इस देश में क्या यह हो सकता है ।
१ अयौध्या , काशी, मथुरा , धार हिन्दुओ को मिल जाए
२ धर्मांतरण रुक जाए
३ वोट की राजनीती रुक जाए
४ बंग्लादेसियो को दामाद बनाना बंद कर दिया जाए ।

सोमवार, 13 अक्तूबर 2008

देश का हाल

आतंकबादी घटनाओ ने देश को हिला कर रख दिया है । कहा जा रहा है की एक खास धर्म को मानने वाले लोग देश को इस लिए तबाह करने पर तुले है की लोग उनके गोड़ की बात नही सुन रहे है । ऐसे लोगो के लिए संदेश तैल लगाओ डाबर का ''''''''''''

शनिवार, 4 अक्तूबर 2008

भगवान इस देश को बचाए

दिल्ली बम धमाको के बाद बाटला हाउस इनकाउन्टर हुआ , जिसमे दो आतंकबादी मरे गए । इस इनकाउन्टर में एक इंसपेक्टर भी सहीद हुए । मीडिया ने पुरे देश को इसका नज़ारा दिखाया , लेकिन अब कहा जा रहा है इस घटना में आजमगढ़ के बेगुनाह युवक मारे गए । कुछ देश द्रोही इसे पुलिस की साजिश बता रहे है । बताने की जरुरत नही है की इसे लोग किस मकसद ऐसा कर रहे है । पर कोई यह नही बता रहा है की इंसपेक्टर मोहन शर्मा को गोली किसने मारी, वो कौन" सज्जन लोग थे जो ऊपर से गोलिया चला रहे थे । जाहिर है यह ई नौटंकी वोट के लिए ही हो रही है । ऐसे में इस देश को भगवान ही बचा सकता है ।

गुरुवार, 2 अक्तूबर 2008

आतंकबाद और जिहाद

भारत में आतंकबाद और जिहाद एक ही सिक्के के दो पहलु है । इन दोनों को अलग कर देखना ठीक वैसे ही बात है जैसे खून से लाल रंग अलग करना । भारत में आतंकबाद सुद्ध रूप से इस्लामी है , जिसे पाकिस्तान और अब यहाँ के वोट के भूखे नेता बढावा दे रहे है । इस आतंकबाद का एक अर्थ भारत में इस्लामी सासन लागु करना है । आतंकबादी संगठन सिमी का घोसना पत्र यही कहता है । तो इस लिहाज से इस आतंकबाद का मतलब हिन्दुओ का नाश करना है । आतंकबादी को यहाँ के मुस्लिमो का समर्थन येही बताता है । अगर यहाँ के हिंदू नही जगे तो इस्लामी हवस की वे भेट चढ़ जायेंगे । कुछ लोग मुझे कहते है की धमाको में मुस्लिम भी मरते है । इस पर मै कहता हूँ की यह सही है लेकिन आप बताये इसके बाद भी आतंकबादी का समर्थन मुस्लिम क्यों करते है । क्यों भारत की हार पर मुस्लिमो द्वारा पठाके फोडे जाते है और पाकिस्तान की जित पर जश्न मनाया जाता है । अफ़सोस इस बात का है की यहाँ के मुसलमान भाई धर्मान्तरित हिन्दुओ की संतान है और वे अपने भाई को दुसमन मान चुके है । इसका सबूत यह है की पाकिस्तान में यहाँ के मुसलमानों को मुहाजिर कहा जाता है । इस लिहाज से यहाँ के मुसलमानों को गंभीरता से यह सोचना चाहिये की उनका भला किसमे है । याद रहे अगर भारत नही रहा तो यहाँ के मुस्लमान भी नही रहेंगे ।

बुधवार, 1 अक्तूबर 2008

अगर धमाके जिहाद है तो शर्म करे


भारत में धमाके पर धमाके हो रहे है । आतंकबादी जिहाद के नाम पर धमाके कर मासूमो की ज़िन्दगी तबाह कर रहे है । सितम्बर में दिल्ली , मुंबई दहले तो एक ओक्टुबर को असम में धमाके कर दहसत फैला दी गई । धमाके दर धमाके आतंकबादी मौत का नया इतिहास लिख रहे है । अगर धमाको में मासूमो को मारना जिहाद है तो ऐसे धर्म को शर्म करना चाहिये । जो इस तरह की बात करता है । दिल्ली में टिफिन बम धमाके में एक बच्चा इसलिए मारा गया क्योंकि वो गिरी टिफिन को बापस करने गया था । बच्चो को मार कर जिहादी कैसी मर्दानगी जताते है । आतंकबाद वैसे हिजरो की जामत है जो अपनी बात कहने के लिए धमाके करता है । ठीक वैसे ही जैसे चिल्ला -चिल्ला कर नमाज पढ़ी जाती है ।

फिर ग़लत राजनीती की भेट चढ़ गए हिंदू

गोधरा हिंदू रामसेवक जलाये गए । लेकिन जब मामले पर राजनीती सुरु हुई तो कहा गया की आग अन्दर से लगाई गई थी । इसके लिए एक जाली रिपोर्ट भी जारी कर दी गई । वो तो भला हो नानावटी रिपोर्ट का जिसने सच को सामने ला दिया । ओडिसा के कंधमाल में विहिप के लक्ष्मन नन्द की हत्या के बाद इसाई के खिलाफ दंगे भड़के तो कहा जा रहा है की साजिस के तहत इसाई को निशाना बनाया जा रहा है । यानि फिर ग़लत राजनीती की भेट चढ़ गए हिंदू । जिस तरह गोधरा कांड के बाद गुजरात में दंगे हुए , वैसे ही विहिप के लक्ष्मन नन्द की हत्या के बाद ओडिसा में दंगे हो रहे है । देश यह अच्छी तरह से जनता है की हिंदू हिंसा में विस्वास नही करते है , पर अस्तित्व पर सवाल उठने पर वो अपनी रक्षा कर के दिखा देते है । मीडिया गुजरात और कंधमाल की बात करे लेकिन गोधरा और लक्ष्मन नन्द की हत्या के साथ ।