बुधवार, 1 अक्तूबर 2008

अगर धमाके जिहाद है तो शर्म करे


भारत में धमाके पर धमाके हो रहे है । आतंकबादी जिहाद के नाम पर धमाके कर मासूमो की ज़िन्दगी तबाह कर रहे है । सितम्बर में दिल्ली , मुंबई दहले तो एक ओक्टुबर को असम में धमाके कर दहसत फैला दी गई । धमाके दर धमाके आतंकबादी मौत का नया इतिहास लिख रहे है । अगर धमाको में मासूमो को मारना जिहाद है तो ऐसे धर्म को शर्म करना चाहिये । जो इस तरह की बात करता है । दिल्ली में टिफिन बम धमाके में एक बच्चा इसलिए मारा गया क्योंकि वो गिरी टिफिन को बापस करने गया था । बच्चो को मार कर जिहादी कैसी मर्दानगी जताते है । आतंकबाद वैसे हिजरो की जामत है जो अपनी बात कहने के लिए धमाके करता है । ठीक वैसे ही जैसे चिल्ला -चिल्ला कर नमाज पढ़ी जाती है ।

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