गुरुवार, 2 अक्तूबर 2008
आतंकबाद और जिहाद
भारत में आतंकबाद और जिहाद एक ही सिक्के के दो पहलु है । इन दोनों को अलग कर देखना ठीक वैसे ही बात है जैसे खून से लाल रंग अलग करना । भारत में आतंकबाद सुद्ध रूप से इस्लामी है , जिसे पाकिस्तान और अब यहाँ के वोट के भूखे नेता बढावा दे रहे है । इस आतंकबाद का एक अर्थ भारत में इस्लामी सासन लागु करना है । आतंकबादी संगठन सिमी का घोसना पत्र यही कहता है । तो इस लिहाज से इस आतंकबाद का मतलब हिन्दुओ का नाश करना है । आतंकबादी को यहाँ के मुस्लिमो का समर्थन येही बताता है । अगर यहाँ के हिंदू नही जगे तो इस्लामी हवस की वे भेट चढ़ जायेंगे । कुछ लोग मुझे कहते है की धमाको में मुस्लिम भी मरते है । इस पर मै कहता हूँ की यह सही है लेकिन आप बताये इसके बाद भी आतंकबादी का समर्थन मुस्लिम क्यों करते है । क्यों भारत की हार पर मुस्लिमो द्वारा पठाके फोडे जाते है और पाकिस्तान की जित पर जश्न मनाया जाता है । अफ़सोस इस बात का है की यहाँ के मुसलमान भाई धर्मान्तरित हिन्दुओ की संतान है और वे अपने भाई को दुसमन मान चुके है । इसका सबूत यह है की पाकिस्तान में यहाँ के मुसलमानों को मुहाजिर कहा जाता है । इस लिहाज से यहाँ के मुसलमानों को गंभीरता से यह सोचना चाहिये की उनका भला किसमे है । याद रहे अगर भारत नही रहा तो यहाँ के मुस्लमान भी नही रहेंगे ।
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