उमा भारती और अब कल्याण सिंह। भाजपा के बाहर गए पिछड़ा वर्ग के ये दोनों पूर्व मुख्यमंत्री फिर से पार्टी के करीब आना चाहते हैं। उमा ने राजग का हिस्सा बनने की पेशकश की है तो सपा से तलाक के बाद कल्याण सिंह भी एक बार फिर भाजपा की तरफ देख रहे हैं। दोनों नेताओं के साथ पिछले अनुभवों को देखते हुए भाजपा ने फिलहाल चुप्पी साध ली है और यह मसला भावी अध्यक्ष के लिए छोड़ दिया है। वैसे भी इन दोनों का अपने-अपने प्रदेशों में भारी विरोध है और पार्टी ऊपर से नीचे तक बंटी हुई है।
बीते दो दशक में भाजपा की सफलता में पिछड़ा वर्ग के समर्थन की बड़ी भूमिका रही है। यही वजह है कि पार्टी के भीतर कई तरह के तूफान खड़े करने के बाद भी उमा भारती व कल्याण सिंह एक-एक बार पार्टी से बाहर जाने के बाद लौटे भी थे। तब से अब हालात काफी बदल चुके हैं। ये दोनों नेता अपने-अपने प्रदेश में अपनी ताकत आजमा चुके हैं। उमा भारती तो खुद विधानसभा चुनाव हार चुकी हैं। कल्याण भी एक क्षेत्र विशेष के बाहर कुछ कमाल नहीं कर सके हैं। इसके अलावा, इन दोनों ने पार्टी से बाहर होने के बाद भाजपा के खिलाफ जो बयान दिए वे अभी भी पार्टी को चुभते हैं। सोमवार को पार्टी के एक वरिष्ठ नेता की यह टिप्पणी काबिल-ए-गौर है, 'भाजपा कोई 'धर्मशाला' नहीं है, जब चाहो चले जाओ और जब चाहो आ जाओ।'
हालांकि भाजपा में कुछ नेता ऐसे भी हैं जो दोनों को माफ कर वापस लेने की वकालत कर रहे हैं। विनय कटियार का बयान इसी दिशा में है। दूसरी तरफ उनके खिलाफ विरोध के सुर भी गूंजने लगे हैं। इधर भाजपा नेतृत्व ने इस मामले पर फिलहाल चुप्पी साथ ली है। वैसे भी संसद सत्र व झारखंड के चुनाव के कारण वह अपना ध्यान दूसरे मुद्दों पर नहीं लगाना चाहती है। भावी राजनीति के हिसाब से इन दोनों नेताओं का मामला संवेदनशील है। इसलिए इस मामले पर संघ की राय सबसे अहम होगी। उमा भारती के मामले पर वह भविष्य की रणनीति को देखते हुए नरम रुख अपना भी सकता है, लेकिन कल्याण सिंह का मामला दूसरा है। हालांकि उनके लिए भी संघ व भाजपा की एक लाबी सक्रिय हो गई है।
मुलायम सिंह अपना मानसिक संतुलन खो बैठे हैं:कल्याण सींह
उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री कल्याण सिंह ने समाजवादी पार्टी प्रमुख मुलायम सिंह पर हमला बोलते हुए कहा है कि वह हार की वजह से अपना मानसिक संतुलन खो बैठे हैं। उनके बेटे और समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव राजवीर सिंह ने समाजवादी पार्टी छोड़ने का एलान करते हुए कहा कि जिस पार्टी में बाबूजी का असम्मान हो उसमें बने रहने का कोई मतलब नहीं रह जाता। रविवार को एक प्रेस कॉन्फ्रंस में कल्याण सिंह और राजवीर सिंह ने कहा कि धोखा देना मुलायम सिंह की फितरत रही है। यही काम उन्होंने हमारे साथ किया है। कल्याण सिंह ने कहा कि 'मुलायम आज कह रहे हैं कि मुझे समाजवादी पार्टी में शामिल नहीं करेंगे। तथ्य यह है कि खुद मुलायम सिंह और अमर सिंह ने मुझे समाजवादी पार्टी में शामिल होने का आमंत्रण दिया था। घर आकर उन दोनों ने आग्रह किया था कि मैं उनकी पार्टी में शामिल हो जाऊं। जब मैं इसके लिए तैयार नहीं हुआ तब उन्होंने कहा कि ठीक है, हमें राजवीर दे दीजिए। फिर हम राजवीर समाजवादी पार्टी में शामिल हुए।' कल्याण सिंह ने कहा कि मुलायम आज भी हार के कारणों की समीक्षा नहीं कर रहे। वह हार का ठीकरा मेरे सिर पर फोड़ रहे हैं, यह कहते हुए कि कल्याण सिंह की वजह से मुस्लिम वोट उनसे टूट गए। अगर थोड़ी देर को यह मान भी लिया तो फिरोजाबाद में यादव वोट उनसे क्यों कटे? अपने गृह क्षेत्र इटावा में उन्हें क्यों हार का मुंह देखना पड़ा? भरथना में क्यों उनकी पार्टी जीत नहीं सकी?' उन्होंने कहा, 'मुझे इस बात का अफसोस है कि मैं मुलायम सिंह की अवसरवादी फितरत को समय रहते पहचान नहीं सका इसका नुकसान मुझे हुआ है। मेरे समर्थक भी इस वजह से बहुत परेशान हुए हैं।' पीटीआई के मुताबिक कल्याण सिंह ने एक बार फिर बीजेपी से जुड़ने की इच्छा जताई है। उन्होंने कहा है कि बीजेपी के अलावा किसी भी दल में इतनी ताकत नहीं है कि वह मंदिर बना सके। मैं मरने से पहले मंदिर बनते देखना चाहता हूं।
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