दिल्ली ब्लास्ट के मुजरिमों को पकड़ने गई पुलिस सफल तो रही लेकिन चर्चित इंसपेक्टर मोहन चंद्र शर्मा सहीद हो गए। इस घटना मे दो आतंकबादी भी मारे गए । जब मीडिया उन आतंकबादी के गाव पहुची तो उन्हें बंदक बनाया गया और कहा गया की मीडिया मुसलमानों को आतंकबादी बताती है । अब सवाल उनसे जो यह कहते है की मुसलमानों को आतंकबादी बताया जा रहा है । उन्हें बताना चाहिये की अगर वे आतंकबादी नही थे तो मोहन शर्मा को गोली किसने मारी । हजारो लोगो की मौज़दगी मे ऊपर से पुलिस पर गोली किसने चलाई । वहा दो कमरों मे १२ लोग रह रहे थे , लेकिन लोकल लोगो ने पुलिस को सहयोग नही किया । पुलिस की करवाई का लोगो ने विरोध क्यों किया । इन बयानों और घटनाओ के माध्यम से मुस्लिम समाज क्या संदेश देना चाहता है । अगर मीडिया ने उन्हें दोसी कहा है तो उनकी गतिविधि इसके लिए दोसी है । मुसलमानों ने मीडिया को दोसी कहने से पहले यह क्यो नही याद किया की गोधरा मे उनकी गलती रहने के बाद भी उनका सहयोग किया । आज भी मीडिया इस डर से मुसलमानों के खिलाफ ख़बर नही लिखती है या दिखाती है । यह बात मै मीडिया मे रहने के कारन अच्छी तरीके से जानता हूँ । मुस्लमान अगर चाहते है की उन्हें अताक्बदी की गाली न दी जाए तो उन्हें अपना चरित्र बदलना होगा । उन्हें भारत की खुसी मे अपनी खुसी खोजनी होगी , पाकिस्तान की जगह उन्हें भारत की जय कहना सीखना होगा ।
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