दिल्ली बम धमाको के दिन हमारे होम मिनिस्टर शिवराज पाटिल ने तिन बार कपड़े बदले थे । यह उनके आतंकबाद से लड़ने का तरीका था । क्या यह शर्म की बात नही है की लोगो के मरने के दौरान होम मिनिस्टर शिवराज पाटिल कपड़े और जूतों के चयन मे उलझे रहे, जबकि उन्हें दर्द बाटने के लिए आगे आना चाहिये था । दरअसल आतंक से लड़ने का काग्रेस का तरीका भी कुछ ऐसा ही है । कांग्रेस आतंकबाद के साथ अपना फ़ायदा देख कर लड़ती है । जब आतंकियो पर करवाई के लिए जनता कहती है तो वो कहती है ऐसा करने से मुस्लिम नाराज हो जायेगे । सिमी और अफजल पर करवाई नही होगी क्योंकि वोट बैंक ख़राब हो जाएगा । मेरी कांग्रेस, मनमोहन और सोनिया से अपील है की आप अपने खातिर देश का बंटाधार न करे । आपने बहुत कर ली देश सेवा , अब आप माफ़ कर दे । या वोट बैंक की राजनीती के लिए देश से माफ़ी मांगे । आप यह भी कर सकते है की नरेन्द्र मोदी से टुइशन ले ले की कैसे आतंकबाद से लड़ा जाता है ।
1 टिप्पणी:
इस बात पर बहस हो सकती है, और होनी चाहिए कि देश के गृह मंत्री अपने दायित्व के निर्वाह में कितने कामयाब या नाकामयाब हैं, लेकिन यह चर्चा करना कि उन्होंने कितनी बार कपड़े बदले, शुद्ध मूर्खता है. एक तो ऐसी बातों का कोई पुख्ता आधार नहीं होता, दूसरे इससे कुछ भी सिद्ध नहीं होता. मान लीजिए, अगर उन्होंने तथाकथित दिन में तीन बार कपड़े बदलने की बजाय तीन दिन तक कपड़े न बदले होते तो आप उनके दायित्व निर्वहन पर कोई प्रतिकूल टिप्पणी नहीं करते? तब क्या उनका सफल गृह मंत्री हो जाना पक्का था?
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