रोहित कुमार सिंह
अन्ना के आंदोलन का आज छठा दिन है. तिहाड जेल से लेकर रामलीला मैदान तक देशभकित नारों की धूम इन दिनों देखने को मिली. इन्हीं नारों में एक सवाल पूछा जा रहा है कि देश का युवा यहां है, राहुल गांधी कहां है. 70 साल के अन्ना हजारे के एक आहवान पर देश का युवा वर्ग सडकों पर है, ऐसे में यह सवाल तो जायज ही है कि स्वयं को युवाओं का कर्णधार बतानेवाले राहुल गांधी कहां हैं. शनिवार को इस युवा राहुल गांधी से प्रेस ने पूछने यह पूछने की कोशिश की कि अन्ना के आंदोलन के बारे में आपकी क्या राय है. इस पर इस कथित युवा तुर्क ने अपने होंठ सिल लिये. ऐसा नहीं है कि राहुल गांधी संकट के पहले मौके पर चुप रहे हैं. इससे पहले भी कर्इ मौके पर वे अपनी चुप्पी दिखा चुके हैं. चाहे कालाधन का मुददा हो या फिर भ्रष्टाचार से निबटने का मामला या फिर लोकतांत्रिक आंदोलन को दबाये जाने का मामला. राहुल ने अपनी चुप्पी से दिखा दिया कि देश की जनता की समस्याओंसे उन्हें कोर्इ मतलब नहीं है.
दरअसल राहुल की राजनीति की इंटर्नशिप चल रही है. वे कभी से राजनेता नहीं हैं. उन्हें गरीबों के घर नाइट हाल्ट करने व उनके नंगे -भूखे बच्चों के साथ फोटो खिांचाने में ही बहादुरी दिखती है. क्या राहुल ने कांग्रेस से पूछने की कोशिश की है कि 60 साल के आजाद भारत में उसने कैसे शासन किया कि देश की यह हालत हो गयी. किसानों की बात करनेवाले राहुल उनके मुददों के साथ मेडिकल इंटर्न स्टूडेंट की तरह ही बिहेव कर रहे हैं. अन्ना का आंदोलन राहुल गांधी के लिए यह मौका है कि वह अंगरेजों की नाजायज औलाद कांग्रेस से पिंड छुडा कर या कहें तो अपना मोह त्याग कर देश की आवाज के कार्यकर्ता बनें व युवाओं के इस आंदोलन से जुडें अगर वे ऐसा करते हैं तो देश की जनता उन्हें माफ कर देगी . क्या राहुल ऐसा कर सकते हैं़?????
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