बुधवार, 17 अगस्त 2011

नहीं बदल सकता है कांग्रेस का चरित्र

रोहित कुमार सिंह

अन्ना हजारे को अनशन करने से पहले गिरफतार कर कांग्रेस ने दिखा दिया है कि लोकतंत्र उसके लिए पैर की चप्पल से ज्यादा कुछ भी नहीं है. जिस तरह का बरताव उनके 100 प्रतिशत शुद्ध लोकतांत्रिक आंदोलन के साथ हुआ वह यह बताने के लिए काफी है कि कांग्रेस का चाल,चरित्र व चिंतन कभी नहीं बदल सकता है. इसका इमरजेंसीवाला चेहरा कभी नहीं बदल सकता है. इसके चरित्र की तुलना किसी बदनाम गली की वेश्या से की जा सकती है. हद तो यह है कि बेशर्मी से लाल किले की प्राचीर से प्रधानमंत्री कानून की दुहार्इ दे रहे है. जनाब कह रहे हैं कि कुछ भी पूर्वाग्रह से नहीं हो रहा है, कानून अपना काम कर रहा है लेकिन देखने की बात यह है कि कानून कैसा काम कर रहा है. ए राजा, कामनवेल्थ घोटाला , शीला दीक्षित प्रकरण में देखा जा चुका है कि मनमोहन का कानून कैसा काम करता है. कांग्रेस क्या है, इसकी एक और नजीर देखें, भटठा पसरौल में धारा 144 का उल्लंघन करनेवाले किसानों पर जब पुलिस ने लाठीचार्ज किया तो राहुल गांधी ने स्वयं को भारतीय कहे जाने पर शर्म आने की बात कही थी, वहीं आज दिल्ली में जब अन्ना हजारे की गिरफतारी होती है , जहां संयोग से धारा 144 का उल्लंघन भी नहीं होता है तो राहुल गांधी शर्म में डूब कर मरने के बजाय मौन धारण कर महान बनने की कोशिश करने लगते हैं. अगर कांग्रेस सोचती है कि वह फिर से देश में इमरजेंसी लागू कर देगी तो वह भ्रम में है.

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