शनिवार, 18 अक्तूबर 2008

मुस्लिमो का चरित्र

भारत में मुस्लिमो का चरित्र एक बड़ा सवाल बना हुआ है । लोग कह रहे है की पुरी कॉम को संका की नज़र से देखा जा रहा है । लेकिन इसकी बजह क्या है किसी को बताने की जरुरत नही है । बार - बार मुस्लिमो पर सवाल बस इस लिए खड़ा होता है की न तो उन्हें कोई सुधार पसंद है न ही वो देश के विकाश में योगदान देना चाहते है ।

3 टिप्‍पणियां:

Unknown ने कहा…

यह सब शायद इस लिए है कि वह मजहब को देश से ऊपर रखते हैं.

Satyajeetprakash ने कहा…

रोहित,
आप अपने लेख को लिखने में थोड़ा समय दें, तथ्य जुटाएं और उसका विश्लेषण करें और फिर प्रहार करें, अच्छा लगेगा.

बेनामी ने कहा…

किसी के चरित्र के ठेकेदार आप कैसे हो गए, हिंदू हों या ईसाई, सिख हों या कोई भी दोनों प्रकार के जीव सभी कौम में हैं,
कबीर दास जी के शब्दों में
"जो दिल खोजा आपना मुझ से बुरा ना कोई"
मुसलामानों को छोर कर अपने आप को खोजें, बहुत कुछ मिलेगा.