बुधवार, 7 सितंबर 2011

माफ कर दें मनमोहन

एक ही बात बार-बार देश पूछते-पूछते थक गया है कि भर्इया मनमोहन आपकी आतंकवाद से लडार्इ कब शुरू होगी. जनाब आज के बम विस्फोट के बाद भी टीवी पर देशवासियों को अपने हिट बयान सुनाते दिखे. कितनी अजीब बात है कि जिस मुंबर्इ हमले मामले में बयानबाजी करने पर होम मिनिस्टर की कुर्सी चली गयी, उसी हमले के मुजरिम को देशवासियों के टैक्स के पैसों से ऐश कराया जा रहा है. बेशर्मी की हद यह है कि जिस संसद में ये भार्इ लोग देश को प्रवचन सुनाते हैं , उस पर हमले के आरोपित को ये लोग पाल-पोस रहे हैं. अगर कांग्रेस का आतंकवाद से लडने का तरीका यही है तो मनमोहन एंड कंपनी को देश को माफ कर देना चाहिए. उसकी आतंकवादियों से दरियादिली अब देश को भारी पड रही है. माना कि हमारे देश की आबादी 113 करोड के करीब है, लेकिन इसका यह मतलब कतर्इ नहीं है कि हम अपने कर्णधार को अपनी बलि चढाने के लिए खुद को सौंप दें. हमारे होम मिनिस्टर के साहस की बानगी देखिए-बाबा रामदेव के आंदोलन को दबाने के लिए जनाब को 12 बजे रात में पुलिस दमन कराने का दमखम आ जाता है, अन्ना हजारे को अनशन करने से रोकने के लिए स्वतंत्रता दिवस के एक दिन बाद गिरफतार कर लिया जाता है, पर उनकी सारी वीरता आतंकवादियों के आगे काफूर हो जाती है.

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