बुधवार, 7 सितंबर 2011

कांग्रेस के नरम रवैये का नतीजा है आतंकी हमला

राष्ट की सुरक्षा हर देश की सबसे बडी जिम्मेवारी होती है, पर लगता है कि आज कांग्रेस सरकार अपनी जिम्मेवारियों को भूल कर देश पर हमले के दोषियों-आतंकवादियों को ही सुरक्षा देने में लगी है, तभी तो अफजल गुरू व अजमल कसाब जैसे देश पर हमले के दोषियों को फांसी देने के बजाय अतिथि बना कर रखा गया है.

इकबाल इमाम

एक बार फिर देश की राजधानी आतंकी हमले से दहल गयी. दर्जन भर बेकसूर लोगों की जान गयी, 70 से अधिक लोग जख्मी हुए. आज सबसे बडा सवाल यह है कि बार-बार देश की सुरक्षा में सेंध क्यों लग जाती है़, आतंकी अपने मंसूबों में क्यों सफल हो जाते हैं, हमारा सुरक्षा तंत्र व खुफिया महकमा हर बार आतंकी हमले के बाद ही क्यों जागता है. इस बार अदालत को निशाना बनाया गया है. आतंकवादियों की मंशा साफ है. इससे तीन माह पूर्व भी वहीं हमला किया गया था. संसद पर हमले के दोषी अफजल गुरू व मुंबर्इ हमले के दोषी अजमल कसाब सहित दर्जनों आतंकवादियों को सजा सुनाये जाने के बाद भी अब तक फांसी नहीं दी गयी है. फांसी पर लटकाने के बजाय केंद्र की कांग्रेसनीत यूपीए सरकार ने इन आतंकवादियों को अतिथि बना कर रखा है. इस हमले की जितनी भत्र्सना की जाये, कम होगी. लेकिन इससे बढ कर उस कांग्रेस सरकार की भत्र्सना होनी चाहिए, जो देश की सुरक्षा के साथ खिलवाड कर रही है. सभी जानते हैं कि अजहर मसूद के साथ क्या हुआ. एक यात्री विमान को हाइजैक कर अजहर सहित कर्इ आतंकवादियों को छुडा लिया गया. सवाल यह है कि क्या उस घटना से हमने कोर्इ सबक लिया, अगर नहीं लिया तो आखिर क्यों नहीं. क्या केंद्र की कांग्रेस सरकार , उसके मुखिया मनमोहन सिंह और सोनिया गांधी चाहते हैं कि एक बार फिर आतंकवादी कोर्इ विमान हाइजैक करें और बदले में कसाब, अफजल व अन्य आतंकवादियों को सुरक्षित पाकिस्तान ले जाकर छोड दिया जाये, अगर ऐसा नहीं है तो केंद्र सरकार कडा रूख क्यों नहीं अपना रही है, क्यों देश की सुरक्षा के साथ आपराधिक लापरवाही बरती जा रही है, क्यों फांसी की सजा सुनाये जाने के बावजूद आतंकवादियों को दामाद की तरह रखा जा रहा है. जिस पाकिस्तान में वहां सरकार, सेना व आइएसआइ की मदद से भारत पर हमले के लिए आतंकी संगठनों को प्रशिक्षित किया जाता है , उसी पाकिस्तानी सरकार से बार-बार वार्ता करने, उस पर भरोसा करने, मुंबर्इ हमले में उसकी स्पष्ट भूमिका उजागर होने के बाद भी वहां आतंकवादियों के प्रशिक्षण केंद्रों को घ्वस्त नहीं करने और वहां की सरकार पर भरोसा करने की नादानी की गयी. दरअसल, यह नादानी नहीं, आपराधिक लापरवाही है . बाबा रामदेव और अन्ना हजारे के भ्रष्टाचार के खिलाफ आंदोलनों को बर्बरता से कुचलनेवाली कांग्रेस सरकार आतंकवादियों के प्रति नरम रूख अपना रही है. यह देशवासियों के साथ विश्वासघात है, जो शर्मनाक है.

---लेखक बिहार से छपनेवाले एक दैनिक में हैं.

कोई टिप्पणी नहीं: