गुरुवार, 17 मार्च 2011

...मन्नू जी अब माफ करिए

विकीलीक्‌स के खुलासे के बाद अब कहने-सुनने को कुछ भी शेष नहीं रह गया है. सोनिया एंड कंपनी का खेल देश-दुनिया के सामने आ चुका है. सत्ता के लिए महारानी से लेकर युवराज तक निलर्जता के साथ भिड़े हुए हैं. हाला कि लोक तंत्र व आम जनता पर लेख लिखने के लिए इन बंधुओं को कहा जाये तो वे किताबों की एक सीरीज तक लिख सकते हैं. देर से ही सही लोग यह भी जान चुके हैं कि हाथ का साथ उन्हें कितना महंगा पड़ा है. सुप्रीम कोर्ट की फटकार, घोटाले -दर-घोटाले , महंगाई, भ्रटा चार आदि के बाद भी यूपीए-2 शान से राज कर रहा है. इसमें आश्चर्य की बात यह है कि देश की बुद्धिजीवी कौम सुसुप्त -सी दिख रही है. रही-सही कसर भाजपा के नेतृत्ववाले लिजलिजे विपक्ष ने पूरी कर दी है. हालाकि आम जनता में छटपटाहट है इस जंजाल से निकल ने की. अब समय आ गया कि आरएसएस अपने चूके हुए योद्धाओं को वापस लेकर मोरचे पर नयी फौज लगाये, नहीं तो धमाकों व खुलासों के बीच यूपीए देश को बरबाद कर देगा. वैसे तो यह होनेवाला नहीं है लेकिन प्रधानमंत्री को तनिक भी शर्म है तो उन्हें न सिर्फ इस्तीफा दे देना चाहिए व राजनीति से संन्यास भी ले लेना चाहिए.

कोई टिप्पणी नहीं: