ओवन ने भाजपा और आरएसएस के कई नेताओं से बातचीत के बाद यह निष्कर्ष निकाला कि मोदी आज नहीं तो कल देश की केंद्रीय राजनीति में आएंगे ही, इसलिए अमेरिका को अभी से उनसे अच्छे रिश्ते बनाना शुरू कर देना चाहिए। उन्होंने कहा कि अमेरिका को मोदी से बातचीत करनी चाहिए और हम इस दौरान उनसे मानवाधिकार हनन और 2002 के दंगों के मुद्दों पर भी अपनी बात रख पाएंगे।ओवन ने 2 नवंबर 2006 की तारीख में लिखे इस गोपनीय संदेश में कहा है, 'हालांकि अमेरिका ने गुजरात दंगों में मोदी की सक्रिय भूमिका के कारण 2005 में उनको वीजा देने से इनकार कर दिया था लेकिन मोदी की लगातार उपेक्षा करना अमेरिकी हितों के खिलाफ होगा क्योंकि अगर आनेवाले सालों में मोदी को देश की राष्ट्रीय राजनीति में प्रमुख भूमिका मिली तो अमेरिका को उनकी जरूरत पड़ेगी। इसलिए बाद में भाजपा के सामने झेंपने से अच्छा है कि हम अभी से नरेंद्र मोदी से अच्छे रिश्ते बनाना शुरू कर दें।'
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