मंगलवार, 22 मार्च 2011

अब तो नरेन्द्र मोदी को पहचानो

अंग्रेजी दैनिक ' द हिंदू' की ओर से किए गए विकीलीक्‍स के ताजा खुलासे के मुताबिक 16 नवंबर 2006 को मोदी की मुंबई स्थित अमेरिकी कौंसुल जनरल माइकल एस. ओवन से मुलाकात हुई थी। खुलासे पर प्रतिक्रिया देते हुए मोदी ने मंगलवार को कहा कि अब अमेरिका भी जानता है कि मोदी बिकाऊ नहीं हैं। विकीलीक्‍स ने दो चेहरे दिखाए हैं- एक तो भारत सरकार का और दूसरा, प्रगतिशील गुजरात का। मोदी ने यह भी कहा कि उन्‍हें खुशी है कि अमेरिकी अधिकारियों ने केबल में बातों को तोड़-मरोड़ कर नहीं रखा था। विकीलीक्‍स के खुलासे के मुताबिक अमेरिका की नजर में मोदी की सार्वजनिक और निजी जिंदगी में फर्क है। ओवन ने कहा है कि सार्वजनिक तौर पर मोदी की छवि एक लुभावने और पसंदीदा नेता की है लेकिन निजी जीवन में वह एकाकी और किसी पर भरोसा नहीं करने वाले इंसान हैं। वह एक छोटी-सी सलाहकार मंडली की मदद से राजकाज चलाते हैं। यह मंडली सीएम और उनके कैबिनेट व पार्टी के बीच पुल का काम करती है।
ओवन ने भाजपा और आरएसएस के कई नेताओं से बातचीत के बाद यह निष्कर्ष निकाला कि मोदी आज नहीं तो कल देश की केंद्रीय राजनीति में आएंगे ही, इसलिए अमेरिका को अभी से उनसे अच्छे रिश्ते बनाना शुरू कर देना चाहिए। उन्होंने कहा कि अमेरिका को मोदी से बातचीत करनी चाहिए और हम इस दौरान उनसे मानवाधिकार हनन और 2002 के दंगों के मुद्दों पर भी अपनी बात रख पाएंगे।ओवन ने 2 नवंबर 2006 की तारीख में लिखे इस गोपनीय संदेश में कहा है, 'हालांकि अमेरिका ने गुजरात दंगों में मोदी की सक्रिय भूमिका के कारण 2005 में उनको वीजा देने से इनकार कर दिया था लेकिन मोदी की लगातार उपेक्षा करना अमेरिकी हितों के खिलाफ होगा क्योंकि अगर आनेवाले सालों में मोदी को देश की राष्ट्रीय राजनीति में प्रमुख भूमिका मिली तो अमेरिका को उनकी जरूरत पड़ेगी। इसलिए बाद में भाजपा के सामने झेंपने से अच्छा है कि हम अभी से नरेंद्र मोदी से अच्छे रिश्ते बनाना शुरू कर दें।'
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