शुक्रवार, 15 अक्तूबर 2010

बचाओ, बचाओ...बिहार को बचाओ

गुरुवार, सात अक्तूबर, 2010 को मैंने लिखा था-इस नकली गांधी से देश को बचाएं. यारों माफ करना, मैं गलत था. देश बाद में पहले उनसे बिहार को बचाने की जरूरत है. साहबजादे बिहार में चुनाव प्रचार करने आये थे. मुंह उठा कर कह गये-बिहार का भविष्‌य कांग्रेस है, यहां अब तक जात-पांत पर वोट पड़ते रहे हैं. कांग्रेस को वोट दें ताकि बिहार देश के साथ कदम से कदम मिला कर चल सके. महोदय कुछ इस तरह फरमा रहे थे मानो कांग्रेस का अवतार हुआ है और वे उसके दूत बन कर आये हैं हमारा उद्धार करने. अब जरा इस गांधी बाबू की कांग्रेस ने बिहार के साथ कब-कब दुष्‌कर्म किया, इसकी एक झलक देखे ।1। जब तक लालू प्रसाद की सरकार अल्‌पमत में रही, इसी कांग्रेस पार्टी ने उसे आक्‌सीजन (अपने विधायकों का समर्थन) देकर जिंदा रखा। 2. 1990 से 2005 तक अपराधियों व भ्रटाचारियों की तूती रही, उस दरम्यान कांग्रेस ने पूरी तरह न सिर्फ सरकार को संरक्षण दिया बल्कि वह सरकार में भी शामिल रही. 3. इन वर्षों में हुई हत्याओं, दुष्‌कर्म, व्‌यापारियों के पलायन के लिए वह जिम्मेवार है क्‌योंकि पापी से ज्‌यादा पापी को बचानेवाला गुनाहनागर होता है. 4. यूपीए पार्ट 1 वन में कांग्रेस ने लालू की क्‌या भूमिका तय की थी, बताने की जरूरत नहीं है. 5. जंगल राज के प्रमुख नायकों को अपनी पार्टी में शामिल कराया है।अब बताएं, ऐसे उद्धारकों का क्‌या किया जाना चाहिए. एक बार मायावती ने कहा था-तिलक, तराजू .....खींच के मारो जूते चार. ऐसे उद्धारकों के लिए यही करना होगा. तभी बिहार बचेगा और जब बिहार बचेगा, तभी देश बचेगा.

कोई टिप्पणी नहीं: