गुरुवार, 7 अक्तूबर 2010

इस नकली गांधी से देश को बचाएं

वे युवराज कहे जाते हैं. उनका घूमना खबर है. हद यह है कि उनका कहीं खाना-नहाना भी खबर है. पिछले 10 वर्षों से राजनीति में इंटर्नशिप कर रहे हैं. (आम कार्यकर्ता को 10 दिन का भी समय नहीं मिलता है). कहीं दौरे पर गये और संयोग से वह सीट निकल गयी तो " मैजिक' कहलाता है, किंतु जब उनकी वंशवादी पार्टी हार जाती है तो कहा जाता है पार्टी का संगठन कमजोर रहने की वजह से ऐसा हुआ. उनका अराजकता, जंगल राज आदि को लेकर अलग-अलग मानक रहता है. जब तक वामपंथियों के सहयोग से केद्र में उनकी पार्टी की दुकानदारी चल रही थी, बाबू साहब को सबकुछ हरा-हरा नजर आ रहा था, लेकिन अब उन्हें बंगाल सबसे रद्दी लग रहा है. इनकी एक और आदत है वे राजनीति में बिना सोचे समझे बयान जारी करते हैं. हाल में साहब ने कह दिया, संघ और सिमी एक जैसे हैं. अब ऐसे लोग बयान देंगे तो भांग की बू आनी स्वभाविक है. देश को उनकी इस बात पर उतना ही आश्चर्य है, जितना कि उनका गांधी होना. नकली गांधी नकली बयान ही देंगे. साहबजादे से भारत की चौहद्दी पूछी जायेगी तो मुंह बना कर खड़े हो जायेंगे. इतिहास-भूगोल का पता नहीं, संघ पर डिक्‌टेशन दे रहे हैं. मुझे तो लगता है वे हमारे उदार संविधान द्वारा दिये गये बोलने की स्वतंत्रता के अधिकार का दुरुपयोग कर रहे हैं. मुझे अगर ऐसा दुरुपयोग करने का अवसर मिला तो मैं भी कह सकता हूं कि सिमी और भाई साहब का परिवार एक समान है, जो देश को दिनोंदिन रसातल (ठेठ बिहारी शब्‌दों में तेल हंडा) में ले जा रहा हैं. हलाकि मैं मानसिक दिवालियापन का शिकार नहीं हूं सो मैं अपने अधिकार का दुरुपयोग नहीं करूंगा. एक बात और चुभती है. भाई साहब हमारे देश की मीडिया भी ऐसी है जो घंटी-अगरबत्ती, लड्डू लेकर हर समय उनकी वंदना करती रहती है, जबकि उसे इस नकली गांधी से बचाने के लिए आगे आना चाहिए. (पाठक स्वयं इस नकली गांधी का नाम तय कर ले )

3 टिप्‍पणियां:

परमजीत सिहँ बाली ने कहा…

बहुत सही कहा है आपने।

बेनामी ने कहा…

आपकी बेबाक कलम तारीफ़ की हकदार है।शास्त्र में भी लिखा है कि खानदानी का रुतबा कम होगा और वर्ण संकर का बढेगा।

Yogendra Singh Pawar ने कहा…

थोड़े में बहुत कह डाला आपने. असली गाँधी के नाम की ही खा रहे हैं, इस देश में बरसों से नेता.