संघर्ष विराम ख़त्म होने के बाद इस्राइल ने फलिस्तीन के आतंकबादी कैम्पों पर हमला शुरू किया । इस घटना में करीब १००० आतंकबादी और उनके समर्थक मरे गए । देखा जाए तो यह घटना आतंकबाद के खिलाफ युद्ध थी , पर भारत सरकार ने इसकी निंदा कर दी । ये घटना बताती है की मुस्लिम वोट के लिए हमारे नेता कितना निचे गिर सकते है । इस्राइल हमारा स्वाभाविक सहयोगी है और वोह भी आतंकबाद झेल रहा है । ऐसे में हमे उसका साथ देना चाहिये न की विरोध करना चाहिये ।
1 टिप्पणी:
नीति विरूद्ध चलना तो हमारे तुष्टिकारक नेताओं का परम कर्तव्य बन गया है देश का कुछ भी हो लेकिन ये तुस्टीकरण का कोई मोका छोड़ना नही चाहते है.
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