रविवार, 12 जून 2011

बाबा रामदेव मामले में बुद्धिजीवियों से सवाल

रोहित कुमार सिंह
भारत में एक बात है जो सदियों से इसका पीछा नहीं छोड़ रही है। आप निर्जीव पड़े रहें, आपके सामने दुनिया के कुकर्म होते रहें और आप कुछ न करें तो कोई आपसे यह पूछने नहीं आयेगा कि आपने ऐसा क्‌यों किया, लेकिन जैसे ही आप मुख्‌यधारा में आकर समाज के लिए कुछ बेहतर करने की सोचेंगे तो लोग आलोचनाओं की तलवार लेकर पीछे पड़ जायेंगे. यह क्‌यों किया, यह आपको नहीं करना चाहिए था आदि-आदि. हद तो यह है कि इसमें कांग्रेस व इसकी पिछलग्गू पार्टियों के साथ इसके पोसे-पाले पत्रकार तक शामिल हो जाते हैं. ताजा उदाहरण बाबा रामदेव का है. बाबा ने नौवें दिन अपना अनशन तोड़ दिया. उनका अनशन काला धन वापस लेन व भ्रïटाचार के विरोध में था. देश के स्व कथित बुद्धिजीवी संविधान द्वारा दिये गये वाक स्वतंत्रता के अधिकार का दुरुपयोग करते हुए बाबा से पूछ रहे हैं-आप आंदोलन छोड़ कर भागे क्‌यों.-आपने महिलाओं ने कपड़े पहन कर पुलिस से अपनी जान क्‌यों बचायी.-अनशन क्‌यों तोड़ा. ऐसे सवाल करनेवालो से एक सवाल -क्‌या आपको ऐसे सवाल पूछने का नैतिक हक है. बाबा रामदेव तो नौ दिनों तक अनशन पर रहे पर एसी कमरों में बैठ कर पांच टाइम नाश्ता-भोजन करनेवाले अन्न के दुश्मन ऐसे पाखंडी बुद्धिजीवियों ने देश के लिए क्‌या किया है. क्‌या उन्होंने देश के लिए पांच मिनट का भी समय दिया है. खुद पांच मिनट समय नहीं दे सकते और दूसरों से उम्मीद करते हैं कि वह उनकी ज्ञान वासना के लिए शहीद हो जाये. यह कौन-सी बात हुई. वर्तमान में काला धन व भ्रटाचार के मुद्दे पर प्रधानमंत्री कह चुके हैं कि उनसे कुछ भी नहीं होनेवाला है (संक्षेप में समझें की सोनिया की कांग्रेस कंपनी उन्हें कुछ करने नहीं देगी.) ऐसे में बाबा अगर काला धन व भ्रटाचार के मामले में कोई आंदोलन या विचार देश तक पहुंचाना चाहते हैं तो उनकी प्रशंसा होनी चाहिए या आलोचना. देश में इन दोनों मसलो का हाल पत्रकारिता जगत के महत्वपूर्ण हस्ताक्षर सुरेंद्र किशोर ने प्रभात खबर के 30 मई, 2011 के अंक अपने कॉलम कानोंकान में लिखा है-(आज इस देश मे¨ कितना कड़ा लोकपाल विधेयक बनाने की जरूरत है, यह बात इसी से साबित होती है कि टू जी स्पेक्‌ट­म घोटाले मे¨ ए राजा तभी जेल जा सके, जब सुप्रीम कोर्ट ने उन्हे¨ ऐसा करने के लिए बाध्य कर दिया. ए राजा के खिलाफ डॉ सुब्रहमण्यम स्वामी का शिकायत पत्र उससे पहले दो साल तक प्रधानम¨त्री सचिवालय मे¨ पड़ा रहा था.)ऐसी सरकार से क्‌या यह उम्मीद की जा सकती है कि वह देश के लिए बेहतर सोचेगी. कांग्रेस में बड़ी-बड़ी चर्चा होती है-इंटर्नशिप कर रहे युवराज सबकुछ ठीक कर देंगे. लोग पूछ रहे हैं-इस संजीदा मामले में वे कहां हैं. कहां है उनका देश के प्रति जज्‌बा. बाबा व अन्ना हजारे के आंदोल नों ने एक बात तो की है-देश जाग गया है और इसका रिजल्‌ट आनेवाले समय में दिखेगा.

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