रोहित कुमार सिंह
बाबा रामदेव को रामलीला मैदान से हटा कर केद्र की कांग्रेस सरकार ने अपनी मानसिकता व मंशा स्पस्त कर दी है। अन्ना हजारे को लोली पॉप दिखा कर आंदोलन के रास्ते से हटाने के बाद कांग्रेस को महसूस हुआ कि बाबा रामदेव का आंदोलन ज्यादा सशक्त है, सो उसने अपनी रंगत दिखा दी. इधर, प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह को ईमानदार बता कर उनकी शान में कसीदे पढ़ रहे बाबा रामदेव को भी “दिव्य ज्ञान‘ की प्राप्ति हो गयी कि कांग्रेस, कांग्रेस क्यों है. अब बाबा कह रहे हैं कि उन्हें जान से मारने की साजिश थी. दरअसल , 60 से अधिक वर्षों से सत्ता का सुख भोग रहे नेहरू परिवार को आंदोलन को कुचलने व भ्रटाचार को बढ़ाने की आदत-सी पड़ गयी है. (वर्तमान में नेहरू की तीसरी पीढ़ी की सोनिया गांधी-मूल नाम सोनिया माइनो के हाथों में इस सरकार की कमान है). इस मुद्दे पर कुछ लिखने अथवा विशलेषण से पहले देख ले कि बाबा की मुख्य मांगें क्या थीं।
काला धन को देश की संपत्ति घोषित किया जाये।
विदेशों में जमा बेहिसाब काला धन वापस लाया जाये।
ऐसे लोगों के लिए मृत्युदंड की सजा हो।
लोगों को उनकी भाषा में पढ़ाया जाये ।
उनकी मांगों पर सरकार (कांग्रेस) ने क्या किया।
सब मांगों में हां-में-हां मिलायी।
आश्वासन-पर-आश्वासन दिया पर कब तक क्या करेंगे, बताने से परहेज किया।
रात के 2.30 बजे घुसपैठियों की भांति शिविर पर हमला कर बाबा को भक्तों सहित वहां से हटा दिया. यह सब तब हुआ, जब देश गहरी निद्रा में सो रहा था।
सोनिया-मनमोहन ने यह नहीं बताया कि दिन के उजाले में यह सब क्यों नहीं हुआ.अब जरा कांग्रेस का चरित्र व चिंतन देखें : टू जी स्पेक्टम, कॉमनवेल्थ, आदर्श सोसाइटी, सांसद रिश्वत कांड सहित घोटालो की सीरीज चला कर देश का खरबों रुपये लूटने के बाद भी इसके नेता शान से कहते हैं कि हमारे प्रधानमंत्री मिस्टर क्लीन हैं. सूप्रीम कोर्ट की फटकार के बाद इसके मंत्री गिरफ्तार हो रहे हैं. प्रधानमंत्री चुनावों के पहले तो कहते हैं कि हम काला धन वापस लायेंगे-ऐसे लोगो के नाम उजागर करेंगे, लेकिन जीतने के बाद सुर बदलते देर नहीं लगती-अब इन महोदय का कहना है कि यह संभव नहीं है. असल में वे कुछ कहने की स्थिति में ही नहीं हैं. देश में सबसे अधिक समय तक कांग्रेस का राज रहा है. देश में जीप घोटाले (यह नेहरू के राज में हुआ था और भारत का यह पहला घोटाला माना जाता है) से अब तक हुए घोटालो में कांग्रेस या इसके सहयोगियों की ही भूमिका रही है. ऐसे में उनसे उनके भाई-बंधुओं का नाम उजागर होने से रहा. कुल मिला कर मामला यही है कि जनता के हित की शपथ लेकर चोर-उचक्कों की चौकीदारी की जा रही है. फिर भी इस देश की मीडिया को पता नहीं किस चश्मे से मनमोहन सिंह मिस्टर क्लीन दिखते हैं. इससे शर्मनाक क्या हो सकता है कि देश की जनता त्राहि-त्राहि कर रही है और कांग्रेस महंगाई को कोई मुद्दा ही नहीं मान रही है. तिस पर से पेटोल की कीमतें सुरसा की तरह बढ़ती जा रही है. अनाज के बिना जनता दुबली हो रही है, अनाज में सट्टा-जुआ हो रहा है, महंगाई के कारण जीना मुहाल हो गया है, 10 प्रतिशत लोग पूरी अर्थव्यवस्था को बंदर की माफिक नचा रहे हैं और कांग्रेस “...हो रहा भारत निर्माण‘ के गीत गा रही है. भाजपा तो लगता है कि मुख्य विपक्षी पार्टी बन कर अपने आदर्शों तक को दफना चुकी है, देश बरबादी के कगार पर है और उसके नेता घरों व मीडिया कांफ्रेंस रूम की शोभा बढ़ा रहे हैं. कभी सड़कों पर आंदोलन कर अपनी पहचान बनानेवाली भाजपा आज सड़क से संसद तक गायब है. देश में उसके रहने व न रहने का कोई मतलब ही नहीं रह गया है. यह सही है कि अन्ना हजारे व बाबा रामदेव के आंदोलनों को जनता का पूरा समर्थन मिल रहा है, पर यह भी सही है कि अंगरेजों की बनायी व्यवस्था में उनके आंदोलन देर-सबेर दम तोड़ देंगे क्योंकि यहां की राजनीति कांग्रेस ने काफी गंदी कर दी है. अंतिम विकल्प यही है कि नेपथ्य से राजनीति को दिशा देनेवाले ये दोनों नेता मुख्यधारा में आयें व देश की बागडोर संभाले । देश इसका बेसब्री से इंतजार कर रहा है. ...... क्या उन तक एक अरब 20 करोड़ लोगों की आवाज पहुंच रही है.
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