शुक्रवार, 18 फ़रवरी 2011

भाजपा...तूने क्‌या किया

भाई साहब, आडवाणी क्‌या चीज हैं, अब तक मेरी समझ में नहीं आ रही है. बहुत दिन नहीं हुए इस शख्‌स ने कहा था कि मुझे मनमोहन सिंह पर दया आती है. जनाब ने दया करते-करते सोनिया मैडम से माफी भी मांग ली . कहा कि सोनिया बता देतीं कि उनके अथवा उनके पति का स्विस बैंक में एकाउंट नहीं है तो वे ऐसा बयान नहीं देते. आज की तारीख में वह कैसी राजनीति कर रहे हैं, यह लोगो के समझ के परे है. अगर यह उम्र का असर है तो स्वभाविक रूप से मेरी कोई प्रतिक्रिया नहीं है, लेकिन यह अगर राजनीति है तो आडवाणी को पुन: पाकिस्तान जाकर किसी चूल्‌लू भर पानी वाले गड्ढे में डूब मरना चाहिए. आज की तारीख में आडवाणी एंड कंपनी ने भाजपा की जो हालत कर दी है, वह उसके इतिहास में कभी नहीं थी. सामने पाने को विशाल साम्राज्‌य है लेकिन भाजपा की पूरी टीम आपस में लड़ने व सत्ता की चाश्नी चाटने में लगी हुई है. देश में महंगाई बेकाबू है, जनता भ्रष्‌टाचार से त्राहि-त्राहि कर रही है लेकिन वह कान में तेल डाल कर सो रही है. मुझे तो लगता है कि कांग्रेस को कोसते-कोसते वह कांग्रेस की फोटोकॉपी बन गयी है. 1996-2000 के बीच भाजपा की तीन सरकारें महज प्‌याज व टमाटर की कीमतें बढ़ने के कारण चली गयी थीं, लेकिन आज वही भाजपा उससे लाख गुना रद्दी स्थिति होने के बावजूद कुछ नहीं कर पा रही है। यह उसका लिजलिजापन ही दरसाता है।हाल में जम्मू-कश्मीर के लाल चौक पर वह झंडा फहराने का अभियान लेकर निकली थी, लेकिन राजनीति की अवैध संतान (उमर अबदुलला ) के हाथों पूरी पार्टी हार गयी. झंडा नहीं फहराया जा सका. इसके बाद लोगों को लगा कि पार्टी कुछ करेगी लेकिन इस बार भी वही ठंडी प्रतिक्रिया देखने को मिली . यह हाल रहा तो दो से शुरू हुई पार्टी 182 भाया 144 भाया 116 होते हुए -2 हो जायेगी. आज भाजपा को दलालों व व्‌यापारियों से मुक्त कराना जरूरी हो गया है. इसके लिए आरएसएस को पूरी सक्रियता से आगे आना होगा. अगर ऐसा नहीं हुआ तो वह पार्टी इंटरनेट का एक आंकड़ा बन कर रह जायेगी.

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