सोमवार, 21 जून 2010
पोस्टर गलत, पर सवाल सही
उत्तर प्रदेश में आज कल यह पोस्टर चर्चा का विषय बना हुआ है । हलाकि इसकी भाषा पर सवाल खड़े किये जा रहे है , पर पोस्टर में उठया गया सवाल जायज है । उत्तर प्रदेश के फैजाबाद में संसद पर हमले के आरोपी अफजल गुरू और कांग्रेस को निशाने पर लेकर लगाए गए पोस्टर ने हलचल मचा दी है। कांग्रेस ने इस पोस्टर पर कड़ी प्रतिक्रिया देते हुए इसे दिमागी दीवालियापन करार दिया है।यह पोस्टर भाजपा के नेता विनय कटियार की 25 जून को अंबेडकरनगर में होने वाली जनता जागो रैली के लिए लगाए गए है। फैजाबाद व अयोध्या की दीवारों पर पोस्टर 19 जून को चिपकाये गए है।भाजपा के इस पोस्टर में प्रश्नवाचक चिंह के साथ लिखा है कि अफजल गुरू किसका दामाद। उसके नीचे लिखा है कांग्रेस का। इस बारे में पूछने पर भाजपा के राज्यसभा सदस्य विनय कटियार ने कहा कि यह पोस्टर उन्होने नही लगाये। सवाल उठाते हुए उन्होने कहा कि यदि लगा है तो गलत क्या है। जेल में अफजल की दामाद की तरह सेवा हो रही है। केन्द्र सरकार अफजल को फांसी नही देना चाहती है। पूर्व गृहमंत्री शिवराज पाटिल के हस्तक्षेप के बारे में दिल्ली की मुख्यमंत्री शीला दीक्षित पहले ही साफ कर चुकी है।एक दूसरे होर्डिग में विनय कटियार के फोटो के साथ लिखा गया है कि कांग्रेस के पांच आतंकवादी बेटे है। पहला जम्मू कश्मीर का आतंकवाद पंडित नेहरू की देन है। पंजाब का आतंकवाद श्रीमती इंदिरा गांधी की, लिट्टे का आतंकवाद राजीव गांधी की देन, इसके साथ ही नक्सलवाद और उल्फा आंदोलन कांग्रेस की संतानें है।कटियार ने आरोप लगाया कि कांग्रेस ने नक्सलियों के साथ मिल कर आंध्र प्रदेश का चुनाव लड़ा था जिससे नक्सली मजबूत हुए और देशभर में आतंकवादी कारनामे अंजाम दे रहें है। उल्फा में बंगला देश से आये अवैध नागरिक शामिल है जिनको कांग्रेस का संरक्षण है। उन्होने कहा कि बाटला हाउस में मारे गए आतंकवादी व इंडियन मुजाहिदीन के आतंकवादियों से जुड़े लोगों से अपने संपर्को व संबन्ध के बारे में भी कांग्रेस को बताना चाहिए। दिग्विजय सिंह आतंकवादियों के घर क्यों गए थे उनका उनसे रिश्ता क्या है। उन्होने आरोप लगाते हुए कहा कि कांग्रेस आतंकवाद का राजनीतिक उपयोग करती है।
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1 टिप्पणी:
क्या आपको पोस्टर जागो हिन्दू जागो से प्रेरित नहीं लगते।
हमें तो लगे
पर एक-एक पोस्टर सचाई बयान कर कांग्रेस की गद्दारी का प्रमाण देता है।
आपने इस विषय पर पोस्ट बहुत बढ़िया तरीके से लिखी है।
बैसे कटियार जी इस साहस के लिए बधाई के पात्र हैं।
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