यह बिहार के एक युवा काटूनिस्ट की रचना है . उन्होंने इससे क्या संदेश देने की कोशिश की है, यह जगजाहिर है. मेरा मानना है कि अभिव्यकित की स्वतंत्रता के तहत उन्हें भी अपनी बात रखने का मौका मिलना चाहिए , जिस तरह से देश के नेताओं को अपनी बात रखने का अधिकार है.
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