शुक्रवार, 8 अप्रैल 2011

क्‌या अन्ना ने गलती कर दी

72 साल का व्‌यक्ति भी क्रांति कर सकता है, यह देखना बहुत प्रेरणादायक रहा. हलाकि अन्ना हजारे चार दिनों के अनशन के बाद 9 अप्रैल को अनशन तोड़ने जा रहे हैं लेकिन इन चार दिनों में वह हुआ, उसकी केवल फिल्‌मों में कल्‌पना की जाती है. भारत; जहां भ्रटाचार एक संस्कृति का रूप ले चुकी है, वहां की 1.21 करोड़ आबादी बस इसी इंतजार में थी कि कोई एक खड़ा हो, जिसके पीछे वह जा कर अपनी बात कह सके. अन्ना के अनशन स्थल से नेताओं का भगाया जाना, देश के लोगों का स्वत: इस आंदोलन से जुड़ना, हमारे देश के नवसामंत, जिन्हें हम मजबूरी में जनप्रतिनिधि कहते हैं; उनका स्क्रीन आफ हो जाना एक सुखद सपने की तरह था. अन्ना उठे और चार दिनों में दशकों से लटके लोक पाल बिल के बारे में फैसले करा दिया. यह सही मायनों में लोकतंत्र की जीत की तरह ही थी. इन चार दिनों में लगा कि सदियों से तरह-तरह की दासता झेल रही देश की कौम भी कुछ कर सकती है. क्रिकेट के बाद यह पहला मुद्दा दिखा जिसके पीछे लोग अपनी मर्जी से जुड़ते गये. लेकिन एक गलती अन्ना हजारे ने भी कर दी. उनकी गलती भी कुछ वैसी ही रही, जैसी महात्मा गांधी ने की थी.1920 में महात्मा गांधी ने असहयोग आंदोलन शुरू किया था, आंदोलन के एक वर्ष बीतते-बीतते यह पूरे उफान पर आ गया. अंगरेजी हुकूमत हिल गयी थी. 1922 में चौरीचौरा कांड हुआ और महात्मा ने अपनी ही जलाई आग पर कई घड़े पानी डाल दिया. यानी आंदोलन वापस लेकर देश की आवाम को सकते में डाल दिया. आजादी की लड़ाई एकाएक रोक दी गयी. कुछ ऐसा अन्ना हजारे भी कर गुजरे. माना कि उनका अनशन जिस मांग के लिए था, वह पूरा हो गया लेकिन भ्रटाचार के खिलाफŸ सुलगी चिनगारी को शोला बनाने के लिए उनका नेतृत्व तो आज के समय की मांग है. अन्ना अनशन से वापस हो जायेंगे, देश फिर पुराने ढर्रे पर आ जायेगा. फिर हमारे मिस्टर क्‌लींन प्रधानमंत्री यह कहते फिरेंगे कि मैं 100 प्रतिशत साफ हूं भले ही मेरी कैबिनेट व मेरी सरकार घोटालो की कब्र के ऊपर बनी है. फिर वही होगा, जो इस देश में आजादी के बाद से आज तक होता आया है. मेरी इस विचारधारा के लिए मेरे दोस्तों ने खूब आलो चना की, उनका कहना था कि इस बार देश जाग गया है। लेकिन अब तक इतिहास-भूगोल देखते हुए लगता है कि गांधी वाली गल ती तो हो ही चुकी है. अन्ना हजारे देश का सचमुच भला चाहते हैं तो उन्हें देश की कमान संभालने के आगे आना चाहिए. क्‌या ऐसा वे करेंगे, देश की जनता को इस प्रश्न के उत्तर का बेसब्री से इंतजार है.

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